यमुना देखकर विदीर्ण हो जाता है जिन्होंने यमुना की अविरल धारा देखी है, जिन्होंने यमुना को वास्तविक रूप में ‘सदानीरा’ देखा है, उनका हृदय आज की यमुना देखकर विदीर्ण हो जाता है। जहां तक नजर जाती है, वहां तक सिर्फ पॉलीथिन और तमाम प्रकार का कूड़ा करकट दिखाई देता है। यमुना में भैंसें स्नान करती दिखाई देती हैं। यमुना में नाले गिरते हुए दिखाई देते हैं। दशहरा घटा पर तो पूरे ताजगंज का मैला यमुना में आकर ही गिरता है। साथ में आता है पॉलीथिन और अन्य प्रकार की गंदगी का पहाड़। सबकुछ यमुना के हवाले कर दिया जाता है।
यमुना किनारे की महिमा आगरा शहर यमुना के किनारे स्थित है। यमुना का जल कितना स्वच्छ रहा होगा, इसी कारण मुगलों ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया। यमुना किनारे यहां रामबाग, एत्माउद्दौला (बेबी ताज), आगरा किला और ताजमहल जैसे विश्व प्रसिद्ध स्मारक बनाए। एक समय था जब यमुना आगरा किला को छूकर बहती थी। इसी कारण व्यापारी नाव से आते थे। यमुना रामबाग और एत्माउद्दौला ही नहीं, ताजमहल को भी छूकर बहती थी। ताजमहल को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि यमुना चारदीवार से लगकर बहती रहे। ताजमहल की नींव कुआं आधारित है। कुआं आधारित नींव इसलिए बनाई गई ताकि भूकम्प आने के बाद भी ताजमहल सुरक्षित रहे। हजारों साल प्राचीन कैलाश मंदिर और बल्केश्वर महादेव मंदिर भी यमुना किनारे ही है।
आगरा शहर के लिए पानी का स्रोत आगरा शहर के लिए पानी का स्रोत यमुना है। इसके किनारे अंग्रेजों ने जल संस्थान की स्थापना की। यहां से पूरे शहर को जलापूर्ति की जाती है। यमुना में जल ही नहीं है। रसायनों से साफ करके पानी भेजा जा रहा है। किसी भी सूरत में यमुना जल पीने लायक नहीं है। इसके बाद भी लोग पी रहे हैं। हैंडपम्प बेकार हो गए हैं। ऐसे में लोगों के सामने मजबूरी है। गंगाजल आ गया है, लेकिन घरों तक पहुंचने में वक्त लग रहा है। यमुना में इतना पानी नहीं है कि तैराकी मेला लग सके। गंगा दशहरा, सोमवती अमावस्या आदि पर्वों पर लोग आते हैं, लेकिन स्नान की औपचारिकता पूरी करते हैं।
चार साल से चल रहा अभियान यमुना को स्वच्छ करने के लिए रिवर कनेक्ट अभियान शुरू किया गया। इसके कर्ताधर्ता हैं वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल। उनके साथ डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य, श्रवण कुमार सिंह, रंजन, शैलेन्द्र सिंह नरवार, मधुकर चतुर्वेदी, पदमिनी ताजमहल आदि हैं। चार साल से रोजाना एत्माउद्दौला व्यू पॉइंट पर आरती करते हैं। उद्देश्य यह है कि यमुना के प्रति लोग संवेदनशील हों। मुट्ठीभर ही सही, चार साल से लगातार अभियान चला रहे हैं। गर्मियों में रेत स्नान कर रहे हैं। यमुना की रेती में नाव चला रहे हैं। इसके बाद भी नेतागण इतने असंवेदनशील हैं कि उन पर कोई असर नहीं हो रहा है। किसी भी चुनाव में यमुना मुद्दा नहीं बन सकी है।
क्या हो चुका है यमुना को स्वच्छ रखने के लिए जापान बैंक की मदद से यमुना एक्शन प्लान के दो चरण पूरे हो चुके हैं। इसके तहत किसी भी प्रकार का सीवेज यमुना में नहीं गिरना है। किसी भी नाले का पानी सीधे यमुना में नहीं गिरना है। पानी को शुद्ध करके यमुना में डाला जाना है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए गए। ये कभी चलते हैं और कभी नहीं। करोड़ों रुपये बर्बाद कर दिए गए हैं। समस्या वहीं की वहीं है। नगर निगम ने एक बार तय किया कि नालों के मुहानों पर जाली लगाई जाएगी, ताकि पॉलीथिन यमुना में न गिरे। कुछ स्थानों पर जाली लगाई गई, लेकिन गंदगी कौन हटाए? यह प्रयोग भी निष्फल हो गया। यमुना की सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रियंका चोपड़ा भी आगरा आ चुकी हैं। उन्होंने दशहरा घाट पर यमुना जल में हाथ डालकर फोटोग्राफी कराई। फिर चली गईं। इसके बाद यमुना में गंदगी बढ़ती ही चली गई।
ताजगंज वालों की पीड़ा ताजमहल के आंगन ताजगंज में रहने वाले पंडित ब्रह्मदत्त शर्मा, अभिनव जैन, भाजपा नेता अश्वनी वशिष्ठ, हरिमोहन कोटिया, भाजपा नेता बबलू लोधी, कांग्रेस नेता इब्राहीम हुसैन जैदी, आरएसएस के राकेश सिंह राघव, जिला शासकीय अधिवक्ता बसंत गुप्ता, दीपक बंसल, ललित दक्ष, राकेश दीक्षित, डॉ. आरएल भारद्वाज, कांग्रेस नेता रमाकांत सारस्वत कहते हैं कि यमुना में रोज स्नान करने जाया करते थे। इस समय स्नान लायक पानी नहीं है। यमुना का वर्तमान स्वरूप देखकर रोना आता है। हमारे देखते-देखते ये क्या हो गया है। आखिर कौन बचाएगा यमुना मां को।