आगरा

Yellow Gang: लाठी डंडे लेकर चलती हैं ये महिलाएं, गैंग का नाम है पीली सेना, देखें वीडियो

गुलाबी गैंग की तर्ज पर आगरा में वर्ष 2015 में Yellow Gang की शुरुआत हुई।

आगराJul 17, 2019 / 08:11 am

धीरेंद्र यादव

Yellow Gang

आगरा। गुलाबी गैंग की तर्ज पर आगरा में वर्ष 2015 में yellow gang की शुरुआत हुई। वैसे इस संगठन का नाम सशक्त महिला सेना है, जिसका उद्देश्य महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करना है। इस गैंग की ड्रेस पीली साड़ी होने के कारण ये पीली सेना या फिर Yellow Gang के नाम से मशहूर हो गया। महिलाओं पर अत्याचार की कहीं भी खबर मिले, तो ये गैंग बहुत तेजी से सक्रिय हो जाता है। पीड़ित महिला की सहायता के लिए Yellow Gang साम, दाम, दण्ड, भेद हर तरह से कार्य करता है।
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2015 में हुई पीली सेना की शुरुआत
पीली सेना की शुरुआत कांग्रेस नेत्री शबाना खंडेलवाल ने की। उन्होंने बताया कि उनकी संरचना विकास समिति थी, जो करीब 20 वर्ष पुरानी हैं, जिसमें लोगों के लिए काम करते थे। इस दौरान विचार आया कि महिलाओं के लिए काम किया जाए। अपने लोगों से विचार कर शसक्त महिला सेना का गठन किया। इसका ड्रेस कोड पीली साड़ी थी, इसलिए इसे पीली सेना कहा जाने लगा। आठ मार्च 2015 में इसकी शुरुआत की, क्योंकि आठ मार्च को महिला शसक्तिकरण दिवस होता है। कुछ महिलाओं से शुरुआत हुई थी, लेकिन इस सफर में पीली गैंग के पास 12 हजार महिलाएं हैं।
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ये है उद्देश्य
शबाना खंडेलवाल ने बताया कि पीली सेना का उद्देश्य महिलाओं की रक्षा, महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं का उत्पीड़न रोकना। घर में ससुराल में, कार्यालयों में, स्कूलों में, कॉलेजों में उन्हें परेशान किया जा रहा है। पुलिस द्वारा भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। उस तरह की महिलाएं जब हमसे मिलती हैं, शिकायत करती हैं। कई मामलों में अधिवक्ता भी पीली सेना के पास महिलाओं को भेजते हैं, कई थानों से फोन आते हैं, कि आप इस समस्या का समाधान कर सकती है। तो ऐसे मामलों में अधिकारियों से बात करते हैं और इसके बाद भी बात नहीं बनती है, तो फिर आंदोलन करते हैं, लाठी डंडे हमारे तैयार रहते हैं।
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शिकायत पेटिका भी रखवाईं
सशक्त महिला सेना की प्रमुख शबाना खंडेलवाल ने बताया कि महिला सेना की ओर से आगरा कई स्थानों पर शिकायत पेटिकाएं रखवाईं गई हैं। ये शिकायत पेटिकाएं, मॉल, बाजार, कॉलेज और स्कूल में आमतौर पर देखने को मिल सकती हैं। इन पेटिकाओं में कोई भी महिला, युवती अपनी शिकायत लिखकर डाल सकती हैं। उसकी शिकायत सुनी जाएगी। इसके बाद प्रयास किया जाएगा कि उसकी समस्या का साम, दाम, दंड, भेद किसी भी प्रकार से समाधान किया जाए।

इस तरह होता है काम
सशक्त महिला सेना की खुद की अदालत भी है। इस अदालत में दोनों पक्षों को सामने बुलाया जाता है। अदालत की तरह ही दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है। इसके बाद प्रथम प्रयास रहता है कि दोनों पक्षों के बीच सुलह करा दी जाए। यदि किसी भी रूप में बात नहीं बनती है, तो बीच का समाधान निकालकर दोनों पक्षों को संतुष्ट कर दिया जाता है। शबाना खंडेलवाल ने बताया कि कई सैकड़ा मामलों का निपटारा इस अदालत में हुआ है।
कागजों में हो रही सुरक्षा
शबाना खंडेलवाल ने बताया कि कागजों में महिला सुरक्षा की बात हो रही है। बच्चियों को बाहर भेजने में डर लग रहा है। छोटी छोटी बच्चियों के साथ रेप हो रहा है। आगरा में संजलि को जलाकर मार दिया गया। पहले 100 नंबर पर दौड़कर पुलिस आती थी, लेकिन अब ये सभी सेवाएं अस्त व्यस्त दिखाई दे रही हैं। महिला उत्पीड़न रुक सके, इसके लिए महिलाओं को आवाज उठाने की आवश्यकता है। आज उत्पीड़न कम नहीं हुआ, बल्कि बढ़ रहा है।
यूं बढ़ता गया कारवां
सशक्त महिला सेना की प्रमुख शबाना खंडेलवाल ने बताया कि आठ मार्च 2015 को जब पीली सेना का गठन हुआ, तो पहली बैठक में फतेहपुर सीकरी से 300 महिलाएं पीली सेना के साथ जुड़ीं, इसके बाद ये कारवां बढ़ता गया। शहर में पीली सेना का विस्तार शुरू हो गया। बदायूं, बरेली, हाथरस कई शहरों में संगठन बढ़ता जा रहा है। आज संगठन में करीब 12 हजार सक्रिय सदस्य हैं।
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