Tribute: असम के सिलीगुड़ी (siliguri) में शहीद संजय साधु को जब शहीद को डेढ़ वर्षीय पुत्र ओम ने मुखाग्नि दी तो हर किसी के आंसू बह निकले। शहीद की पत्नी अंजना ने पति को अंतिम विदाई दी तो माहौल में सन्नाटा (pindrop silence) छा गया। हर कोई एक दूसरे से अपनी आंखे छुपा रहा था।
शहीद को डेढ़ वर्षीय पुत्र ने दी मुखाग्नि… आप भी रो देंगे!
– लोगों की आखों से गिर रहे थे आंसू – संजय की पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन – अंतिम यात्रा में उमड़ा पूरा शहरवडोदरा. जिंदगी तेरे फलसफे से सब अंजान क्यूं हैं… सब हैरान क्यूं हैं? असम के सिलीगुड़ी में शहीद संजय साधु को जब शहीद को डेढ़ वर्षीय पुत्र ओम ने मुखाग्नि दी तो हर किसी के आंसू बह निकले। शहीद की पत्नी अंजना ने पति को अंतिम विदाई दी तो माहौल में सन्नाटा छा गया। हर कोई एक दूसरे से अपनी आंखे छुपा रहा था। दृश्य देख किसी को भी संवेदनाएं रोक पाना मुश्किल था। पत्नी अंजना बार बार कह रही थीं कि पति की शहादत पर गर्व है मगर बच्चों का क्या होगा? पढ़कर या तस्वीर देखकर शायद आप भी ऐसा ही महसूस करेंगे। शहीद संजय साधु की अंतिम यात्रा में पूरा शहर उमड़ा। लोग अपनी दुकानें बंद कर और कार्यालय से अवकाश लेकर अंतिम यात्रा में शामिल हुए। बीएसएफ जवान संजय साधु सिलीगुड़ी में पशु तस्करी रोकने के दौरान शहीद हो गए थे। उनकी पार्थिव देह बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गई। मंगलवार देर रात को पार्थिव देह को वडोदरा एयरपोर्ट पर लाया गया, जहां बड़ी संख्या में लोगों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। बुधवार को उनके निवास स्थल से अंतिम यात्रा निकाली गई और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सलामी दी गई।
मंत्री, संतरी सभी पहुंचे श्रद्धांजलि देने राज्य सरकार की ओर से नर्मदा एवं शहरी विकास राज्यमंत्री योगेश पटेल ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। साथ ही सांसद रंजनबेन भट्ट, महापौर जिगीशाबेन सेठ, मनपा में विरोधपक्ष के नेता, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं, कलक्टर शालिनी अग्रवाल, पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत आदि ने श्रद्धांजलि दी। एयरपोर्ट से पार्थिव देह को सयाजी अस्पताल ले गए, जहां गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बाद में पार्थिव देह को उनके निवास स्थल गोरवा स्थित घर ले गए, जहां अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। सुबह करीब 10.30 बजे श्मशान यात्रा निकाली गई, तिसमें पूरा शहर शामिल हुआ।
बीएसएफ में निरीक्षक पद पर थे साधु संजय साधु बीएसएफ में निरीक्षक के पद पर सेवारत थे। असम बॉर्डर पर 18 अगस्त को जवान संजय गश्त में थे। इस दौरान उन्हें पशु तस्करी होने की आशंका हुई तो वह तस्करों को पकडऩे दौड़े। इस दौरान पैर फिसलने के कारण वह नाले में गिर गए। रेस्क्यु कर उन्हें शीघ्र निकाला और अस्पताल में पहुंचाया गया जहां जहां चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वह 10 वर्ष पूर्व बीएसएफ में जुड़े थे। शुरुआत में एक वर्ष गांधीनगर के चिलोड़ा में ड्यूटी की थी। बाद में उनका ट्रांसफर असम में हो गया था। पिछले नौ वर्षों से वह असम में ही तैनात थे। उनके पिता मोहनभा साधु गुजरात पुलिस में एसएसआई थे, जो तीन वर्ष पूर्व डभोई से सेवानिवृत्त हुए हैं।
पत्नी अंजना को अब बच्चों की चिंता शहीद की पत्नी अंजना को पति की शहरादत पर गौरव है, लेकिन बालकों के भविष्य को लेकर चिंता है। उनका कहना है कि देश के लिए पति शहीद हुए यह गौरव की बात मगर बच्चों का क्या होगा, इसकी चिन्ता है। जिस तरह जनता ने पूरा सहयोग दिया है इसी प्रकार सरकार का सहयोग मिले तो बच्चों की जिंदगी संवर जाएगी। वहीं, वडोदरा की सांसद रंजनबेन भट्ट ने कहा कि वह शहीद परिवार के साथ हैं। शहीदों को मिलने वाली सभी मदद शहीद संजय के परिवार को सरकार की ओर से दी जाएंगी।