मानसून की विदाई के समय बारिश होने से नदी, नाले व खाडिय़ों में पानी पुन: भर गया है। बाढ़ नियंत्रण केन्द्र ने अब तक सिलवासा में 2374.4 एमएम व खानवेल में 2345.2 एमएम बारिश रिकॉर्ड की है, जो फिलहाल औसत से करीब 100 एमएम कम है। इस वर्ष मानसून ने 28 जून को दस्तक दी थी। जुलाई में बारिश लगभग रूठी रही वही अगस्त धुंआधार मेघ बरसने से कसर लगभग पूरी हो गई था। चालू सदी में सबसे अधिक बरसात गत वर्ष सिलवासा में 3439.8 व खानवेल में 3811.1 एमएमए तथा इसके बाद 2017 में 3579.8 एमएम हुई है। इससे पहले वर्ष 2018 में 2357.7 मिमी 2016 में 2427, 2014 में 2279, 2015 में 1588 मिमी बारिश हुई है। सन्1966 से लेकर 2018 तक सबसे अधिक बारिश वर्ष 1994 में 3829.41 एमएम तथा वर्ष 1981 में 3434.0 एमएम रिकॉर्ड की गई। सबसे कम वर्षा सन् 1974 में 1281.0 एमएम दर्ज की थी। मधुबन डेम पानी से लबालब भर गया है। डेम में पानी संग्रहण की क्षमता समाप्त हो गई है। विदाई के समय बारिश होने से दमण गंगा, साकरतोड़ व डुंगरीखाड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ा है। दमण गंगा के सभी कोजवे पर चद्दर चल रही है।
धान की फसल गिरी
अंतिम चरण की बारिश से खेतों में भरपूर उत्पादन मिलने की संभावना जताई जा रही हैंं, वहीं कुछ खेतों में खड़ी फसल आड़े-तिरछे गिर गई हैं, जिससे थोड़ा नुकसान भी हुआ है। इस बारिश से पकते अन्न की प्यास मिट गई है।