भाई ने नहीं सोचा एक पल भी
किडनी अस्पताल में गुर्दा प्रत्यारोपण कराने वाली डोरोथी क्रिस्टोफर मेकवान नामक विवाहिता ने बताया कि तीन बहनों के बीच एक भाई प्रफुल मेकवान हैं। ट्रान्सप्लान्ट की प्रक्रिया से पहले दोनों बहनें भी किडनी देने के लिए राजी थीं लेकिन भाई ने दोनों को समझाया और खुद ने किडनी दी। बहन डोरोथी ने बताया कि भाई ने एक पल भी किडनी देने में आनाकानी नहीं की। अभी से भाई अविवाहित हैं। अपने भविष्य की चिन्ता किए बिना बहन को बचाने के लिए आगे आए हैं।
किडनी अस्पताल में गुर्दा प्रत्यारोपण कराने वाली डोरोथी क्रिस्टोफर मेकवान नामक विवाहिता ने बताया कि तीन बहनों के बीच एक भाई प्रफुल मेकवान हैं। ट्रान्सप्लान्ट की प्रक्रिया से पहले दोनों बहनें भी किडनी देने के लिए राजी थीं लेकिन भाई ने दोनों को समझाया और खुद ने किडनी दी। बहन डोरोथी ने बताया कि भाई ने एक पल भी किडनी देने में आनाकानी नहीं की। अभी से भाई अविवाहित हैं। अपने भविष्य की चिन्ता किए बिना बहन को बचाने के लिए आगे आए हैं।
इकलौते भाई के लिए बहन बनी सुरक्षा कवच
किडनी अस्पताल में पिछले दिनों ट्रान्सप्लान्ट कराने के बाद नया जीवन जी रहे वडोदरा के आशिषभाई सुथार ने बताया कि किडनी खराब होने के दौरान उनकी बहन सुरक्षा कवच बनकर आई थी। आशिष इकलौते भाई हैं और इनकी एक ही बहन टिंकल खराडी (विवाहित) है। उन्होंने बताया कि बहन ही नहीं उनके बहनोई ने भी एक पल की देरी नहीं की थी। किडनी देकर आशिष को बहन ने दूसरा जीवन दिया है। उन्होंने बताया कि वैसे भी बहनें भाई की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं लेकिन उन्हें दूसरा जीवन दिया है।
किडनी अस्पताल में पिछले दिनों ट्रान्सप्लान्ट कराने के बाद नया जीवन जी रहे वडोदरा के आशिषभाई सुथार ने बताया कि किडनी खराब होने के दौरान उनकी बहन सुरक्षा कवच बनकर आई थी। आशिष इकलौते भाई हैं और इनकी एक ही बहन टिंकल खराडी (विवाहित) है। उन्होंने बताया कि बहन ही नहीं उनके बहनोई ने भी एक पल की देरी नहीं की थी। किडनी देकर आशिष को बहन ने दूसरा जीवन दिया है। उन्होंने बताया कि वैसे भी बहनें भाई की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं लेकिन उन्हें दूसरा जीवन दिया है।
इस बहन को 11 परिजन हो गए थे किडनी देने को राजी
किडनी अस्पताल के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पंकज शाह का कहना है कि करीब दो वर्ष पूर्व अस्पताल में एक ऐसा भी ट्रान्सप्लान्ट किया गया जिसमें एक बहन को किडनी देने के लिए पीहर पक्ष के एक नहीं बल्कि आठ और ससुराल पक्ष के तीन लोग किडनी देने को तैयार हो गए थे। दाहोद निवासी रंजनबेन सुनील कुमार नामक महिला का जब ट्रान्सप्लान्ट किया जाना था तो भाई ही नहीं भाइयों की पत्नी भी किडनी देने को राजी हो गईं थीं। जिसके बाद रक्त ग्रुप मेच होने पर छोटे भाई चंद्रकांत मारवाह ने किडनी दी। डॉ. शाह ने कहा कि ऐसे परिवार बहुत कम देखने में आते हैं। बहन ने बताया कि आज जो जीवन वे जी रहीं हैं वह उनके भाई और भाभी की देन है।
किडनी अस्पताल के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पंकज शाह का कहना है कि करीब दो वर्ष पूर्व अस्पताल में एक ऐसा भी ट्रान्सप्लान्ट किया गया जिसमें एक बहन को किडनी देने के लिए पीहर पक्ष के एक नहीं बल्कि आठ और ससुराल पक्ष के तीन लोग किडनी देने को तैयार हो गए थे। दाहोद निवासी रंजनबेन सुनील कुमार नामक महिला का जब ट्रान्सप्लान्ट किया जाना था तो भाई ही नहीं भाइयों की पत्नी भी किडनी देने को राजी हो गईं थीं। जिसके बाद रक्त ग्रुप मेच होने पर छोटे भाई चंद्रकांत मारवाह ने किडनी दी। डॉ. शाह ने कहा कि ऐसे परिवार बहुत कम देखने में आते हैं। बहन ने बताया कि आज जो जीवन वे जी रहीं हैं वह उनके भाई और भाभी की देन है।