वड़तालधाम में ११११ यजमानों ने की सामूहिक महापूजा
आणंद. खेड़ा जिले की नडियाद तहसील के वड़ताल स्थित स्वामीनारायण मंदिर में रविवार को आयोजित सामूहिक महापूजा में एक साथ एक हजार एक सौ ग्यारह यजमानों ने भाग लिया।
वड़लात में समूह में पहली बार महापूजा की गई है। पुरोहित धीरेनभाई भट्ट ने शास्त्रोक्त रूप से पूजाविधि की। इस मौके पर तुलसीदर की ओर से रोजाना ८ घंटे का पूजन करने वाले ११ ब्राह्मणों का मुख्य कोठारी घनश्यामप्रकाश दास स्वामी, नौतमप्रकाश दास स्वामी, घनश्यान स्वामी (सारंगपुरवाळे), गोविंदस्वामी मेतपुरवाले आदि संत व घनश्याम खांधलीवाळा, संजयभाई ट्रस्टी आदि ने सम्मान किया। नौतम स्वामी ने महापूजा के बारे में विस्तार से बताया, जबकि कोठारी घनश्याम स्वामी ने वड़ताल की महिमा का वर्णन किया और हिंडोळा उत्सव में सेवा देने वाले ४० गांवों के ८०० स्वयं सेवकों की सेवा की सराहना की।
आणंद. खेड़ा जिले की नडियाद तहसील के वड़ताल स्थित स्वामीनारायण मंदिर में रविवार को आयोजित सामूहिक महापूजा में एक साथ एक हजार एक सौ ग्यारह यजमानों ने भाग लिया।
वड़लात में समूह में पहली बार महापूजा की गई है। पुरोहित धीरेनभाई भट्ट ने शास्त्रोक्त रूप से पूजाविधि की। इस मौके पर तुलसीदर की ओर से रोजाना ८ घंटे का पूजन करने वाले ११ ब्राह्मणों का मुख्य कोठारी घनश्यामप्रकाश दास स्वामी, नौतमप्रकाश दास स्वामी, घनश्यान स्वामी (सारंगपुरवाळे), गोविंदस्वामी मेतपुरवाले आदि संत व घनश्याम खांधलीवाळा, संजयभाई ट्रस्टी आदि ने सम्मान किया। नौतम स्वामी ने महापूजा के बारे में विस्तार से बताया, जबकि कोठारी घनश्याम स्वामी ने वड़ताल की महिमा का वर्णन किया और हिंडोळा उत्सव में सेवा देने वाले ४० गांवों के ८०० स्वयं सेवकों की सेवा की सराहना की।
महापूजा की महिमा :
मंदिर के डॉ. संत स्वामी के अनुसार स्वामीनारायण संप्रदाय में महापूजा की बड़ी महिमा है। श्री हरि की प्रसन्नता के लिए व श्रेय एवं आत्मकल्याण और इच्छित मनोकामना पूर्ण करने के लिए सदगुरु अखंडानंद ब्रह्मचारी की ओर से महापूजा की विधि की रचना की गई है। संप्रदाय में सर्वप्रथम जूनागढ़ स्वामीनारायण मंदिर में १७५ वर्ष पूर्व सद्गुरु गोपालानंद स्वामी ने महापूजा की थी। मांगलिक प्रसंगों के निर्विघ्न पूर्ण करने व व्याधि के निवारण के लिए महापूजा का आयोजन किया जाता है।
मंदिर के डॉ. संत स्वामी के अनुसार स्वामीनारायण संप्रदाय में महापूजा की बड़ी महिमा है। श्री हरि की प्रसन्नता के लिए व श्रेय एवं आत्मकल्याण और इच्छित मनोकामना पूर्ण करने के लिए सदगुरु अखंडानंद ब्रह्मचारी की ओर से महापूजा की विधि की रचना की गई है। संप्रदाय में सर्वप्रथम जूनागढ़ स्वामीनारायण मंदिर में १७५ वर्ष पूर्व सद्गुरु गोपालानंद स्वामी ने महापूजा की थी। मांगलिक प्रसंगों के निर्विघ्न पूर्ण करने व व्याधि के निवारण के लिए महापूजा का आयोजन किया जाता है।