वडोदरा सेंट्रल जेल में 20 कैदी बने किसान
भोजन में आर्गेनिक सब्जियों के उपयोग से खर्च में वार्षिक 7 लाख रुपए की कमी
कैदियों के अलावा पुलिस लाइन में जेल परिवार भी कर रहे उपयोग
बची हुई सब्जियों से वार्षिक 5 लाख रुपए की आवक कैदियों पर होती है खर्च
जेल की 15 बीघा जमीन पर अत्याधुनिक टपक सिंचाई पद्धति और प्राकृतिक खाद से सब्जी की खेती

वडोदरा जेल परिसर में खेती करते कैदी।
पानी की मोटर।
वडोदरा. वडोदरा सेंट्रल जेल में 20 कैदी जेल की 15 बीघा जमीन पर अत्याधुनिक टपक सिंचाई पद्धति और जेल में ही तैयार प्राकृतिक खाद से सब्जी की खेती करने के काम में जुटे हैं।
जेल की करीब 15 बीघा जमीन पर जेल के कैदी वर्षों से सब्जी की खेती कर रहे हैं। सब्जी की खेती में पानी की बचत के लिए टपक सिंचाई पद्धति का उपयोग किया जा रहा है। इस पद्धति से पानी की बचत के साथ सब्जियों की फसलों को आवश्यकतानुसार पानी मिलने से उत्पादन में वृद्धि होती है।
गंभीर मामलों में जेल में सजा भुगत रहे कैदियों में सुधार लाने के उद्देश्य से जेल प्रशासन की ओर से अलग-अलग प्रवृत्तियां करवाई जाती है। इसके तहत 20 कैदी अलग-अलग सब्जियों की खेती करने के काम में जुटे हैं। इन सब्जियों का उपयोग जेल के कैदियों के भोजन के लिए किया जाता है। पुलिस लाइन में जेल परिवार सब्जियों का उपयोग कर रहे हैं। शेष सब्जियों को बेच दिया जाता है। पिछले एक वर्ष के दौरान ऐसी शेष सब्जियों की बिक्री से 5 लाख रुपए की आवक हुई है।
कैदी सुधार व कल्याण के तहत वडोदरा जेल में कैदियों की मदद से ऑर्गेनिक खेती भी शुरू की गई है। जेल की बाड़ी में बड़ी मात्रा में वनस्पतिजन्य सूखा जैविक कचरा एकत्र होता है। उसमें गोबर का मिश्रण कर ऑर्गेनिक खाद बनाया जा रहा है। ऑर्गेनिक खाद बनाने के कारण कचरे का सरलता से उपयोग हो रहा है, साथ ही खाद भी बन रहा है। कचरे के साथ गो-मूत्र, गोबर और आटे के मिश्रण से तरल खाद जीवामृत तैयार किया जा रहा है, खेती के लिए यह पोषक बना रहता है। इसके साथ ही जेल की इस पहल से पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल रही है।
वडोदरा सेंट्रल जेल के कल्याण अधिकारी एम.ए. राठोड के अनुसार दंतेश्वर में खुली जेल में 70 एकड़ जमीन है। उस जमीन पर फिलहाल घास-चारा उगाया जा रहा है। वहां भी कैदी ही काम में जुटे हैं। जेल की गोशाला में इस घास-चारे का उपयोग गायों के लिए किया जा रहा है और अधिक घास बेचकर धनराशि कमाई जा रही है।
जेल में कैदियों की पसंद के उद्योग में तीन महीने के दौरान प्रशिक्षण देकर काम सौंपा जाता है। अकुशल कैदियों को 70, अद्र्धकुशल कैदियों को 80, कुशल कैदियों को 100 रुपए प्रतिदिन मेहनताना चुकाया जाता है। इसमें से 50 प्रतिशत राशि के कूपन सजाकाल के दौरान कैंटीन व बेकरी से खरीदारी करने के लिए दिए जाते हैं और शेष 50 प्रतिशत राशि व्यक्तिगत खाते में जमा करवाई जाती है।
अच्छे काम के बदले कैदियों को प्रोत्साहन
जेल में संचालित उद्योगों में काम करने वाले 199 कैदियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर श्रेष्ठ कारीगर का प्रमाण-पत्र दिए जाते हैं। जेल में अलग-अलग खेल आयोजित कर प्रथम तीन स्थान पर रहने वाले कैदियों को सम्मानित किया जाता है।
बलदेवसिंह वाघेला, अधीक्षक, वडोदरा मध्यस्थ जेल।
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