गांधीनगर. राज्य में गत दो वर्षो में 222 शेरों की मौत हो चुकी है। इनमें 199 शेरों की मौत प्राकृतिक और शेष 23 की मौत अप्राकृतिक तरीके से हुई है। राज्य सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी।
जमालपुर से कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में राज्य के वन व पर्यावरण मंत्री गणपत वसावा ने बताया कि राज्य में वर्ष 2015 में शेरों की अंतिम गणना की गई थी। इनमें कुल 523 शेर थे। इनमें 109 शेर, 201 शेरनी, 213 शावक शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि जून 2017 से लेकर मई 2019 तक 222 शेरों की मौत हुई। इनमें 52 शेर, 74 शेरनी व 90 शावक व छह अचिह्न्ति शामिल हैं।
इनमें जून 2017 से लेकर मई 2018 तक 22 शेर, 27 शेरनी, 30 शावक तथा जून 2018 से लेकर इस वर्ष मई तक 30 शेर, 47 शेरनी, 90 शावक व 3 अचिह्नित शामिल हैं।
इस दौरान प्राकृतिक रूप से मरने वाले शेरों की संख्या जहां 199 रही वहीं अप्राकृतिक रूप से 23 शेर मरे।
प्राकृतिक रूप से जून 2017 से मई 2018 के दौरान 67 शेर मारे गए। इनमें 17 शेर, 22 शेरनी व 28 शावक शामिल हैं। वहीं जून 2018 से इस वर्ष मई तक प्राकृतिक रूप से 126 शेरों की मौत हुई। इनमें 26 शेर, 43 शेरनी व 57 शावक शामिल हैं।
उधर अप्राकृतिक रूप से जून 2017 से मई 2018 के दौरान 5 शेर, 5 शेरनी व 2 शावक शामिल हैं। वहीं जून 2018 से मई 2019 तक 4 शेर, 4 शेरनी व 3 शावक शामिल हैं।
मंत्री ने जानकारी दी कि अप्राकृतिक रूप से शेरों की मौत रोकने के लिए राज्य सरकार ने कई उपाय किए हैं। इनमें रेलवे ट्रैक पर शेरों के आने-जाने के इलाकों में सतर्कता रखने के लिए वन्य प्राणी मित्रों की नियुक्ति की गई है। गिर इलाके में उपचार केन्द्रों की व्यवस्था की गई है।
जमालपुर से कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में राज्य के वन व पर्यावरण मंत्री गणपत वसावा ने बताया कि राज्य में वर्ष 2015 में शेरों की अंतिम गणना की गई थी। इनमें कुल 523 शेर थे। इनमें 109 शेर, 201 शेरनी, 213 शावक शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि जून 2017 से लेकर मई 2019 तक 222 शेरों की मौत हुई। इनमें 52 शेर, 74 शेरनी व 90 शावक व छह अचिह्न्ति शामिल हैं।
इनमें जून 2017 से लेकर मई 2018 तक 22 शेर, 27 शेरनी, 30 शावक तथा जून 2018 से लेकर इस वर्ष मई तक 30 शेर, 47 शेरनी, 90 शावक व 3 अचिह्नित शामिल हैं।
इस दौरान प्राकृतिक रूप से मरने वाले शेरों की संख्या जहां 199 रही वहीं अप्राकृतिक रूप से 23 शेर मरे।
प्राकृतिक रूप से जून 2017 से मई 2018 के दौरान 67 शेर मारे गए। इनमें 17 शेर, 22 शेरनी व 28 शावक शामिल हैं। वहीं जून 2018 से इस वर्ष मई तक प्राकृतिक रूप से 126 शेरों की मौत हुई। इनमें 26 शेर, 43 शेरनी व 57 शावक शामिल हैं।
उधर अप्राकृतिक रूप से जून 2017 से मई 2018 के दौरान 5 शेर, 5 शेरनी व 2 शावक शामिल हैं। वहीं जून 2018 से मई 2019 तक 4 शेर, 4 शेरनी व 3 शावक शामिल हैं।
मंत्री ने जानकारी दी कि अप्राकृतिक रूप से शेरों की मौत रोकने के लिए राज्य सरकार ने कई उपाय किए हैं। इनमें रेलवे ट्रैक पर शेरों के आने-जाने के इलाकों में सतर्कता रखने के लिए वन्य प्राणी मित्रों की नियुक्ति की गई है। गिर इलाके में उपचार केन्द्रों की व्यवस्था की गई है।