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देश में हर वर्ष २५००० लीवर ट्रान्सप्लान्ट की जरूरत, होते हैं सिर्फ ८००

locationअहमदाबादPublished: Aug 13, 2019 10:22:35 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

अंगदान के मामले में गुजरात पांचवें स्थान पर

25000 lever transplants needed, only 400 transplans are done

देश में हर वर्ष २५००० लीवर ट्रान्सप्लान्ट की जरूरत, होते हैं सिर्फ ८००

अहमदाबाद. देश में अंगदान की बात की जाए तो जरूरत और उपलब्धता में काफी अंतर है। लगभग १.५ लाख लोगों को हर वर्ष किडनी ट्रान्सप्लान्ट की जरूरत होती है लेकिन तीन हजार मिलती हैं। देश में हर वर्ष २५००० मरीजों को लीवर ट्रान्सप्लान्ट की जरूरत होती है इनमें से सिर्फ आठ सौ का ही हो पाता है। अंगों की कमी होने के कारण इन्तजार करने वाले नब्बे फीसदी लोग मर जाते हैं। यही कारण है कि अंग नहीं मिलने के कारण प्रतिवर्ष देश में लगभग पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है।
समय रहते अंग मिलें तो पांच लाख में से अधिकांश को बचाया जा सकता है। विश्व में आबादी के मामले में हम चीन के बाद सबसे आगे हैं। इसके बावजूद जब अंगदान की बात आती है तो लगभग सबसे पीछे हैं। देश में अंगदान के इच्छुकों की दर प्रति दस लाख में से ०८ है। वहीं स्पेन इस मामले में सबसे आगे हैं जहां यह आंकड़ा करीब ४७ हैं। यदि भारत देश में यह स्थिति हो तो पांच लाख में से ज्यादातर मौतों को रोका जा सकता है।
जागरूकता के लिए आगे आईं संस्थाएं
अंग नहीं मिलने के कारण होने वाले हजारों मौतों को रोकने के लिए कई संस्थाएं आगे आईं हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की वुमेंस डॉक्टर विंग (डब्ल्यूडीडब्ल्यू)ने अपोलो अस्पताल के साथ मिलकर यह बीड़ा उठाया है। इन दोनों संस्थाओं ने गुजरात में पन्द्रह बड़े अस्पतालों व अन्य संस्थाओं के साथ जुड़कर लोगों से अंगदान के संबंध में जागरूकता फैलाने का निर्णय किया है। डब्ल्यूडीडब्ल्यू की नेशनल चेयरपर्सन डॉ. मोना देसाई के अनुसार अंगों की कमी से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। एक समय था जब अंगदान के मामले में गुजरात देश में पहले क्रम पर था, लेकिन अब देश में पांचवें स्थान पर हो गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि गुजरात में अंगदान के इच्छुक लोगों में पहले से कमी आई है, लेकिन अन्य चार राज्यों में जागरूकता बढऩे के कारण अंगदान का रेशियो बढ़ा है। इस मौके पर अपोलो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. विश्वदीप गोयल के अनुसार हाल में दो लाख भारतीय एक या दूसरे अंगों के दान का इन्तजार करते हैं। जबकि दस फीसदी से कम मरीजों को ट्रान्सप्लान्ट के लिए अंग मिलते हैं।

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