सर्जरी में सटीक परिणाम देने में मददगार
डॉ.सालुंके बताते हैं कि हड्डी और कोमल ऊतकों में कैंसर होने पर उसका उपचार करने में लिक्विड नाइट्रोजन/क्रायोसर्जरी, कंप्यूटर नेविगेशन टेक्नोलॉजी और 3 डी प्रिंटेड मॉडल और इम्प्लांट तकनीक का उपयोग किया जा रहा हैं। इससे मरीज की मुख्य हड्डी को बचाने में मदद मिलती है। इस सर्जरी में हड्डी के कैंसरग्रस्त भाग को काटकर उससे कैंसरग्रस्त हिस्सा (गांठ) दूर किया जाता है। उसे जंतुमुक्त किया जाता है। फिर कस्टमाइज्ड 3 डी प्रिंटेड तकनीक की मदद से उसका मॉडल तैयार कर काटे गए किस्से के अनुरूप मेटल प्लेट तैयार कर उस हड्डी को फिर से जोड़ते हैं। इसमें परंपरागत सर्जरी की तुलना में ज्यादा सटीक परिणाम मिलते हैं। क्योंकि 3 डी मॉडल के जरिए हड्डी का मुख्यरूप और काटे गए हिस्से के बाद के रूप का सही आकार हमें पता चलता है जिससे उसे फिर जोड़ते समय उसी के अनुरूप प्लेट बनाने में मदद मिलती है।
सरकोमा को हराने वाले 35 मरीजों का सम्मान
जुलाई महीने को सरकोमा जागरुकता माह के रूप में मनाया जाता है। जिसके तहत हाल ही में सरकोमा कैंसर को मात देने वाले 35 मरीजों को जीसीआरआई की ओर से सम्मानित किया गया। इन मरीजों ने अपनी आपबीती सुनाई। सर्जरी से पहले और बाद के अनुभव साझा किए।