कच्छ जिले में पांच सीटों-अबडासा, मांडवी, अंजार, गांधीधाम, रापर सुरेन्द्रनगर जिले में तीन सीटों- दसाडा, चोटिला, ध्रांगध्रा, मोरबी जिले में तीनों सीटों-मोरबी, टंकारा व वांकानेर सीट, राजकोट जिले की छह सीटें-राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम, राजकोट दक्षिण, राजकोट ग्रामीण, गोंडल,धोराज पर घोषणा बाकी है।
जामनगर जिले में कालावड (एससी) व जामनगर दक्षिण, पोरबंदर जिले में पोरबंदर व कुतियाणा, जूनागढ़ जिले में माणावदर, विसावदर, केशोद, मांगरोल सीट, गिर सोमनाथ जिले में कोडिनार व उना, अमरेली जिले में लाठी व सावरकुंडला,भावनगर जिले की महुवा, तलाजा, गारियाधार, पालीताणा,भावनगर पश्चिम तथा बोटाद जिले की बोटाद पर प्रत्याशी की घोषणा होनी है।
दक्षिण गुजरात में भरूच जिले की जंबूसर व भरूच सीट, सूरत जिले में मांडवी (एसटी), कामरेज, सूरत पूर्व, सूरत उत्तर, कारंज, उधना, कतारगाम, चोर्यासी, महुवा (एसटी), तापी जिले में व्यारा (एसटी) नवसारी जिले में नवसारी व गणदेवी (एसटी), वलसाड जिले की धरमपुर (एसटी) व कपराडा (एसटी) सीट पर उम्मीदवारों की सूची आनी बाकी है।
भरुच और जंबूसर सीटों पर फंसा पेंच
भरुच की पांच में से तीन सीटों पर मौजूदा विधायकों को ही फिर से चुनाव मैदान में उतारा गया है। अनुसूचित जनजाति सीट झगडिय़ा से रवजी वसावा को टिकट दिया है, जो फिलहाल जनता दल-यू के छोटू वसावा के कब्जे में है। वहीं दो अन्य सीटों भरुच और जंबूसर पर फिलहाल पेंच फंसा है।
इसका कारण आंतरिक गुटबाजी का हावी होना है। जंबूसर में पूर्व मंत्री छत्रसिंह मोरी को विजय रूपाणी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी। इसके बाद ही उनके टिकट पर खतरा मंडराने लगा था। इस बार आनंदी बेन पटेल गुट के मोरी की जगह भरतसिंह परमार की टीम नया चेहरा ढूंढ रही है। बताया जा रहा है कि इसी वजह से नाम तय नहीं हो रहा है। इधर, भरुच विधायक दुष्यंत पटेल भी आनंदी बेन पटेल खेमे से हैं। पहली सूची में उनका नाम भी नहीं होने से चर्चाओं का बाजार और गर्म हो गया है। हालांकि पार्टी के विश्वस्त सूत्र यह मानकर चल रहे हैं कि दुष्यंत को फिर से मौका दिया जा सकता है।