जबरदस्ती थोपे जाने से है परेशानी
‘आधार प्रक्रिया को पेंशन सिस्टम में ज़बरदस्ती थोपा जा रहा है। चाहे उससे लोगों का नुकसान हो या फायदा। यदि पेंशन बैंक या पोस्ट ऑफिस के खातों में दी जा रही है, तो खाताधारक के अलावा उस खाते से अन्य कोई पेंशन नहीं निकाल सकता है। तो फिर सवाल यह उठता है कि आधार द्वारा उंगलियों के सत्यापन की जरूरत ही क्या है?’ ‘आंध्र प्रदेश में हमने पाया कि कुल पेंशनधारियों में से लगभग 10 प्रतिशत पेंशनधारी ऐसे हैं, जो आधार वाली प्रक्रिया से पेंशन लेने में असक्षम हैं। इनमें से ज्यादातर को उंगलियों के सत्यापन में दिक्कत आ रही थी, लेकिन अन्य दिक्कतें भी हैं (जैसे कि आधार सत्यापन की मशीन में खोट, सर्वर समस्या इत्यादि)। जिनके चलते, आंध्रप्रदेश राज्य सरकार ने अपनी तरफ से ऐसे लोगों के लिए, ‘वीआरओ’ का एक ‘ओवर-राइड’ सिस्टम शुरू किया। लेकिन इसके बावजूद पाया कि हर महीने 20 हज़ार वृद्ध लोग जो पेंशन लेने की कोशिश करते हैं, उन्हें ‘वीआरओ’ सिस्टम के बावजूद भी पेंशन नहीं मिलती।’
-प्रो.रीतिका खेरा, प्राध्यापक, आईआईएम-अहमदाबाद
‘आधार प्रक्रिया को पेंशन सिस्टम में ज़बरदस्ती थोपा जा रहा है। चाहे उससे लोगों का नुकसान हो या फायदा। यदि पेंशन बैंक या पोस्ट ऑफिस के खातों में दी जा रही है, तो खाताधारक के अलावा उस खाते से अन्य कोई पेंशन नहीं निकाल सकता है। तो फिर सवाल यह उठता है कि आधार द्वारा उंगलियों के सत्यापन की जरूरत ही क्या है?’ ‘आंध्र प्रदेश में हमने पाया कि कुल पेंशनधारियों में से लगभग 10 प्रतिशत पेंशनधारी ऐसे हैं, जो आधार वाली प्रक्रिया से पेंशन लेने में असक्षम हैं। इनमें से ज्यादातर को उंगलियों के सत्यापन में दिक्कत आ रही थी, लेकिन अन्य दिक्कतें भी हैं (जैसे कि आधार सत्यापन की मशीन में खोट, सर्वर समस्या इत्यादि)। जिनके चलते, आंध्रप्रदेश राज्य सरकार ने अपनी तरफ से ऐसे लोगों के लिए, ‘वीआरओ’ का एक ‘ओवर-राइड’ सिस्टम शुरू किया। लेकिन इसके बावजूद पाया कि हर महीने 20 हज़ार वृद्ध लोग जो पेंशन लेने की कोशिश करते हैं, उन्हें ‘वीआरओ’ सिस्टम के बावजूद भी पेंशन नहीं मिलती।’
-प्रो.रीतिका खेरा, प्राध्यापक, आईआईएम-अहमदाबाद