कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आर्थिक मदद देने की प्रक्रिया में पीड़ित की पहचान किसी भी हालत में उजागर नहीं होनी चाहिए। जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस आर के गौब ने मंगलवार को नाबालिग सौतेली बेटी से रेप के दोषी पिता को आजीवन कैद की सजा सुनाते हुए यह निर्देश दिए हैं।
इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पीड़िता को 15 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए थे। इस पर हाईकोर्ट ने कहा है कि मुआवजे की इतनी रकम का प्रावधान दिल्ली सरकार की योजना में नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को योजना के तहत अधिकतम 7.5 लाख रुपए मुआवजा देना चाहिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पोक्सो एक्ट व दिल्ली सरकार की मुआवजा योजना में रेप के बाद जन्मे बच्चे के लिए मुआवजा का प्रवधान नहीं है।
साथ ही कोर्ट ने कहा है कि दोषी ने मां व बेटी का भरोसा तोड़ा है और उन्हें प्रताड़ित किया है और इसका प्रभाव निश्चित तौर पर बच्चे पर भी पड़ेगा। इसलिए एेसे मामले में नरमी नहीं बरती जा सकती।
कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत पीड़िता की पहचान छिपाने की ट्रायल कोर्ट की गाईडलाईन में कमियां होने पर नाराजगी जताई और अधीनस्थ अदालतों को रेप मामलों में नाबालिग की पहचान हर हाल में छिपाने के निर्देश दिए हैं।