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आचार्य महाश्रमण ने 50 हजार किमी पदयात्रा कर रचा नया इतिहास

locationअहमदाबादPublished: Jan 29, 2021 11:43:29 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

भारत के 23 राज्यों, नेपाल व भूटान में जगाई अहिंसा की अलख

आचार्य महाश्रमण ने 50 हजार किमी पदयात्रा कर रचा नया इतिहास

आचार्य महाश्रमण।

अहमदाबाद. तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य व अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य महाश्रमण ने पदयात्रा करते हुए 50000 किलोमीटर के आंकड़े को पार कर नए इतिहास का सृजन किया। आज के भौतिक संसाधनों से भरपूर युग में जहां यातायात के इतने साधन हैं, व्यवस्थाएं हैं, फिर भी भारतीय ऋषि परंपरा को जीवित रखते हुए आचार्य महाश्रमण जनोपकार के लिए निरंतर पदयात्रा कर रहे हैं। भारत के 23 राज्यों और नेपाल व भूटान में सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति की अलख जगाने वाले आचार्य महाश्रमण की प्रेरणा से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में लोग नशामुक्ति की प्रतिज्ञा स्वीकार कर चुके हैं।
देश की राजधानी दिल्ली के लाल किले से वर्ष 2014 में अहिंसा यात्रा की शुरुआत करने वाले आचार्य महाश्रमण, राष्ट्रपति भवन से लेकर गांवों की झोंपड़ी तक शांति का संदेश देने का कार्य कर रहे हैं। यात्रा के दौरान राजनेता हो या अभिनेता, न्यायाधीश हो या उद्योगपति, सेना के जवान हो या पुलिसकर्मी, विशिष्ट जनों से लेकर सामान्य जन तक संपर्क में आने वाले हर वर्ग के लोग प्रेरित होकर अहिंसा यात्रा के संकल्पों को जीवन में उतारने के लिए प्रतिबद्ध हो रहे हैं। आचार्य महाश्रमण की प्रेरणा से हर जाति, धर्म, वर्ग के बड़ी संख्या में लोगों ने इस अहिंसा यात्रा में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया है।
अहिंसा यात्रा की शुरुआत से पूर्व भी आचार्य महाश्रमण ने स्वपरकल्याण के उद्देश्य से करीब 34000 किलोमीटर का पैदल सफर किया। बारह वर्ष की अल्पआयु में अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी के शिष्य के रूप में दीक्षित तथा प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ के उत्तराधिकारी के रूप में प्रतिष्ठित आचार्य महाश्रमण ने अब तक भारत के दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, असम, नागालैण्ड, मेघालय, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उडीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पांडिचेरी, आंध्रप्रदेश, तेंलगाना, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ राज्य तथा नेपाल व भूटान की पदयात्रा कर लोगों को सदाचार की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्हें ध्यान, योग आदि का प्रशिक्षण देकर उनकी दुरवृत्तियों के परिष्कार का पथ भी प्रशस्त किया। हृदय परिवर्तन पर बल देने वाले आचार्य महाश्रमण ने अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के माध्यम से भी जनता को प्रशिक्षित किया। कच्छ से काठमाण्डू और कांजीरंगा से कन्याकुमारी तक ही नहीं बल्कि, पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमा से लगे भारत के सीमान्त क्षेत्रों में भी आचार्य महाश्रमण की पदयात्रा का प्रभाव देखा जा सकता है।
अपार समर्थन और संभागिता

यात्रा के दौरान बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, योग गुरु बाबा रामदेव, आध्यात्मिक संत श्रीश्री रविशंकर, स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी निरंजनानन्द, मौलाना अरशद मदनी आदि धर्मगुरुओं ने आचार्य महाश्रमण से मिलकर उनके जनकल्याणकारी अभियान के प्रति समर्थन प्रस्तुत किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति मरहूम एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणव मुखर्जी, प्रतिभा पाटिल, नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी, प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, पूर्व राष्ट्रपति रामवरण यादव, पूर्व प्रधानमंत्री सुशील कोइराला, आरएसएस के मोहन भागवत, सुरेश भैय्याजी जोशी, भाजपा नेता अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, पीयूष गोयल, राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पी. चिदंबरम आदि भी आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में पहुंचे और समाजोत्थान के महत्त्वपूर्ण कार्यों में अपनी भी संभागिता दर्ज कराई। इनके अलावा नीतिशकुमार, अशोक गहलोत, नवीन पटनायक, सर्वानंद सोनोवाल, ममता बनर्जी, बी.एस. येद्दियुरप्पा, पलानीसामी, अरविन्द केजरीवाल आदि कई मुख्यमंत्रियों व राज्यपालों सहित विशिष्ट लोगों ने भी अहिंसा यात्रा में अपनी सहभागिता की।
आचार्य महाश्रमण पदयात्रा के दौरान प्रतिदिन 15-20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। जैन साधु की कठोर दिनचर्या का पालन और प्रात: चार बजे उठकर घंटों तक जप-ध्यान की साधना में लीन रहने वाले आचार्य प्रतिदिन प्रवचन के माध्यम से भी जनता को संबोधित करते हैं। इसके साथ-साथ उनके सान्निध्य में सर्वधर्म सम्मेलनों, प्रबुद्ध वर्ग सहित विभिन्न वर्गों की संगोष्ठियों आदि का आयोजन होता है। पदयात्रा में आचार्य महाश्रमण के साहित्य सृजन का क्रम भी निरन्तर चलता रहता है। उनके नेतृत्व में 750 से अधिक साधु-साध्वियां और हजारों कार्यकर्ता भी देश-विदेश में समाजोत्थान के महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न हैं।
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