अहमदाबाद

ऑपरेशन कर फिर गर्भ में रखा जा सकेगा शिशु

गर्भस्थ को गंभीर बीमारियां होने पर…अहमदाबाद के आईकेडीआरसी में उपलब्ध होगी नई तकनीक

अहमदाबादJun 04, 2019 / 10:07 pm

Omprakash Sharma

Dr. vineet Mishra

अहमदाबाद. आमतौर पर गर्भ काल में शिशु जब गंभीर बीमारियों से पीडि़त होता है तो समय रहते चिकित्सकीय परमर्श पर गर्भ को गिराना ही एक मात्र विकल्प हो जाता है। लेकिन अब अहमदाबाद शहर के सिविल अस्पताल परिसर में इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजिज एंड रिसर्च सेंटर (आईकेडीआरसी) के गाइनेक विभाग में गर्भस्थ शिशु को बाहर निकालकर ऑपरेशन हो सकेगा और फिर से गर्भ में सुरक्षित भी रख दिया जाएगा। इस वर्ष दीपावली के आसपास तक यह सुविधा यहां उपलब्ध हो सकेगी। अस्पताल में इस तरह के संशाधन भी आने लग गए।
महिला की गर्भ अवस्था में सोनोग्राफी होने पर शिशु की शारीरिक तकलीफों के बारे में जाना जा सकता है। ऐसे में यदि शिशु की रीढ़ की हड्डी संबंधित, न्यूरो, हृदय संबंधित खामी या फिर अन्य कोई शारीरिक तकलीफ होने पर शिशु को बाहर निकाला जा सकेगा। इतना ही नहीं ऑपरेशन के बाद उसे पुन: सुरक्षित भी रख दिया जाएगा। चिकित्सकीय भाषा में इसे फीटल सर्जरी कहा जाता है। पहले शिशु को बाहर निकालने का जटिल ऑपरेशन और फिर शिशु की बीमारी का जटिल ऑपरेशन किया जा सकेगा। यूरोपीय देशों में कुछ जगहों पर इस तरह की सर्जरी का चलन है। चेन्नई में भी किसी निजी अस्पताल में छोटे-बड़े स्तर पर सर्जरी की जाती है। इसके बाद पहली बार गुजरात के आईकेडीआरसी में इस तरह की सर्जरी हो सकेगी।
इससे मिली जुली है फीटल एंडोस्कॉपी
इसी सर्जरी से मिलती जुलती है फीटल एंडोस्कॉपी। जिसमें गर्भस्थ शिशु को गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने के लिए गर्भ में ही ऑपरेशन किया जाता है। आमतौर पर इस तरह का उपचार उस समय होता है जब गर्भ में जुड़वा बच्चे होते हैं लेकिन उनमें से एक स्वस्थ तो दूसरा कमजोर होता है। ये वे बच्ेच होते हैं जो एक ही अंडे के आधे-आधे भाग से आकार लेते हैं और उनमें ट्वीन्स टू टवीन्स ट्रान्समीशन जैसी गंभीर बीमारी हो। इसमें गर्भ काल में मां की ओर से मिलने वाली खुराक एक बच्चे को ज्यादा मिलती है और दूसरे को नहीं। जिससे बच्चा मर भी सकता है। इस तरह की बीमारी का उपचार फीटल एडोस्कॉपी के माध्यम से गर्भ में ही कर दिया जाता है। इस तरह की तकनीक भी फीटल सर्जरी के साथ-साथ शुरू हो जाएगी।
बहुत जल्द शुरू हो जाएगी तकनीक
अस्पताल में फीटल सर्जरी बहुत जल्दी शुरू हो जाएगी। अस्पताल में इस तरह के आधुनिक साधन आने शुरु भी हो गए हैं। दीपावली के आसपास तक इसे शुरू करने की योजना है। हालांकि इस तकनीक से उपचार करना काफी जटिल होता है। क्योंकि न्यूरो, हार्ट, स्पाइन जैसे विशेषज्ञों वाली टीम की भी जरूरत होगी। इसके लिए भी विशेष व्यवस्था की जाएगी। गर्भ में शारीरक रूप से खामी वाले शिशुओं का औसत प्रति एक हजार में से एक शिशु को हो सकता है। उनके लिए यह तकनीक किसी रामबाण से कम नहीं है।
विनीत मिश्रा, निदेशक आईकेडीआरसी एवं एचओडी गाइनेक विभाग
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