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Gujarat Hindi News : दाहोद के चिकित्सक ने बिना सर्जरी के साढ़े 6 किलो की गांठ निकाली

locationअहमदाबादPublished: Dec 01, 2021 12:25:28 pm

Submitted by:

Binod Pandey

चिकित्सक की उपलब्धि, एशिया बुक ऑफ वल्र्ड रेकॉर्डस में दर्ज
42 वर्षीय महिला का वजन 101 किलो, वजायनल सर्जरी से किया इलाज

Gujarat Hindi News : दाहोद के चिकित्सक ने बिना सर्जरी के साढ़े 6 किलो की गांठ निकाली

Gujarat Hindi News : दाहोद के चिकित्सक ने बिना सर्जरी के साढ़े 6 किलो की गांठ निकाली

संतोष जैन
दाहोद. दाहोद के एक चिकित्सक ने मरीज की अतिविशेष शारीरिक परिस्थिति के बावजूद साढ़े छह किलो की अंडाशय की गांठ बगैर किसी चीर-फाड़ के वजायनल सर्जरी के जरिए दूर करने में सफलता पाई है। चिकित्सक की इस उपलब्धि को एशिया बुक ऑफ वल्र्ड रेकॉर्डस में स्थान दिया गया है।

इस प्रकार की सर्जरी करने वाला यह चिकित्सक एशिया के 48 देशों में पहला बताया गया है। दाहोद के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल पडवाल ने यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने बताया कि दाहोद के समीप मध्यप्रदेश के सीमावर्ती गांव की 101 किलो वजन की 42 वर्षीय महिला के बड़े अंडाशय में करीब &0 से 40 सेंटीमीटर की गांठ होने की जानकारी एक निजी अस्पताल में हुए परीक्षण में पता चला था।
एमआरआई कराना नहीं था संभव
महिला के भारी वजन के कारण उसका एमआरआई कराना भी संभव नहीं था। डॉ पडवाल ने कहा कि महिला को दाहोद में एमआरआई कराने का प्रयास किया गया तो मोटापा के कारण वह मशीन में फंस गई जिससे परीक्षण नहीं हो पाया।
डॉ राहुल पडवाल ने मरीज का वजायनल सर्जरी की कठिन मानी जाने वाली पद्धति से सर्जरी कर शरीर से 6.1 लीटर तरल और 400 ग्राम ठोस मिलाकर साढ़े छह किलो की गांठ निकालने में सफलता पाई।
Gujarat Hindi News : दाहोद के चिकित्सक ने बिना सर्जरी के साढ़े 6 किलो की गांठ निकाली
सर्जरी के निशान नहीं, दूसरे दिन ही डिस्चार्ज
आधुनिक वीडियो लेरिन्गोस्कोप मशीन की मदद से वेसेल सिलर लगाया गया। नेचुरल एरिफायसी पद्धति का अनुसरण करते हुए गांठ का ऑपरेशन किया गया। इस पद्धति में वेसल सिलर सिस्टम का उपयोग किया गया। इसके कारण किसी प्रकार के टांके की भी जरूरत नहीं पड़ी। इस पद्धति से ऑपरेशन के बाद मरीज के शरीर में दूसरे दिन सर्जरी का कोई निशान तक नहीं रहा। मरीज को किसी प्रकार का स्राव नहीं होने से उसे दूसरे दिन ही डिस्चार्ज भी कर दिया गया। महिला के अत्यंत मोटापा के कारण गले का भाग भी बहुत Óयादा मोटा था। इसकी वजह से मरीज को बेहोश करना भी संभव नहीं था।

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