भंडारे में बड़ी संख्या में पहुंचे साधु संत
नेत्रोत्सव विधि के बाद मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विविध भागों से साधु-संतों ने हिस्सा लिया। इन साधुओं को भोजन के रूप में मालपुआ, दूधपाक, सब्जी, पूड़ी, चावल आदि व्यंजन परोसे गए। भोजन के बाद उन्हें वस्त्रदान किए गए। पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की ओर से वस्त्रों का दान किया गया। मंदिर परिसर में भोजन प्रसाद का लाभ आम श्रद्धालुओं ने भी लिया।
नेत्रोत्सव विधि के बाद मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विविध भागों से साधु-संतों ने हिस्सा लिया। इन साधुओं को भोजन के रूप में मालपुआ, दूधपाक, सब्जी, पूड़ी, चावल आदि व्यंजन परोसे गए। भोजन के बाद उन्हें वस्त्रदान किए गए। पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की ओर से वस्त्रों का दान किया गया। मंदिर परिसर में भोजन प्रसाद का लाभ आम श्रद्धालुओं ने भी लिया।
ये है नेत्रोत्सव विधि चली आ रही परंपरा के अनुसार नेत्रोत्सव विधि में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलदाऊ की आंखों में दर्द होने के कारण पट्टी बांधी जाती है। रथयात्रा से दो दिन पहले वे निज मंदिर लौटते हैं उस दौरान यह विधि की जाती है। भगवान के दर्द को हरने के लिए प्रार्थना की जाती है और संतों को भोजन कराया जाता है। आंखों की पट्टी रथयात्रा के दिन सुबह खोली जाती है। और उसी दिन भगवान नगरभ्रमण करते हुए ननिहाल जाते हैं।