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Ahmedabad : ननिहाल से लौटे भगवान, निज मंदिर में नेत्रोत्सव विधि में उमड़े श्रद्धालु

locationअहमदाबादPublished: Jun 29, 2022 10:28:45 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

भंडारे में किया साधु संतों का अतिथि सत्कार

Ahmedabad : ननिहाल से लौटे भगवान, निज मंदिर में नेत्रोत्सव विधि में उमड़े श्रद्धालु

Ahmedabad : ननिहाल से लौटे भगवान, निज मंदिर में नेत्रोत्सव विधि में उमड़े श्रद्धालु

अहमदाबाद. Ahmedabad शहर में शुक्रवार को निकलने वाली Bhagwan jagannath भगवान जगन्नाथ की 145वीं Rathyatra रथयात्रा से पहले बुधवार को जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर परिसर में traditional Netrotsav परंपरागत नेत्रोत्सव की विधि का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में जहां श्रद्धालु उमड़े वहीं साधु-संतों का अतिथि सत्कार किया गया।
जलयात्रा के बाद लगभग एक पखवाड़े तक ननिहाल (सरसपुर) स्थित रणछोड़ राय मंदिर में रहने के बाद बहन सुभद्रा और बलदाऊ के साथ भगवान जगन्नाथ बुधवार को निज मंदिर (जगन्नाथ मंदिर) लौट आए। जहां सुबह नेत्रोत्सव विधि की गई। विधि के तहत भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलदाऊ की आंखों पर पट्टी बांधी गई। उसके बाद ध्वजारोहण किया गया और फिर महाआरती हुई। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। मंदिर के मंहंत दिलीपदास महाराज एवं गृह मंत्री हर्ष संघवी ने महाआरती में भाग लिया। गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी.आर. पाटिल एवं गृह मंत्री हर्ष संघवी ने भगवान की पूजा अर्चना की। बुधवार को गर्भ गृह के कपाट खुलने के साथ ही भगवान जगन्नाथ के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा। इस दौरान किए गए ध्वजा रोहण की रश्म में भी लोगों की खूब भीड़ हुई।
भंडारे में बड़ी संख्या में पहुंचे साधु संत
नेत्रोत्सव विधि के बाद मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विविध भागों से साधु-संतों ने हिस्सा लिया। इन साधुओं को भोजन के रूप में मालपुआ, दूधपाक, सब्जी, पूड़ी, चावल आदि व्यंजन परोसे गए। भोजन के बाद उन्हें वस्त्रदान किए गए। पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की ओर से वस्त्रों का दान किया गया। मंदिर परिसर में भोजन प्रसाद का लाभ आम श्रद्धालुओं ने भी लिया।

ये है नेत्रोत्सव विधि

चली आ रही परंपरा के अनुसार नेत्रोत्सव विधि में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलदाऊ की आंखों में दर्द होने के कारण पट्टी बांधी जाती है। रथयात्रा से दो दिन पहले वे निज मंदिर लौटते हैं उस दौरान यह विधि की जाती है। भगवान के दर्द को हरने के लिए प्रार्थना की जाती है और संतों को भोजन कराया जाता है। आंखों की पट्टी रथयात्रा के दिन सुबह खोली जाती है। और उसी दिन भगवान नगरभ्रमण करते हुए ननिहाल जाते हैं।
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