केन्द्रीय गृहमंत्री ने भी मांग का किया समर्थन
पाटिल ने बताया कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी पशुपालकों की मांग को जायज बताया है। शाह ने भी इस नए विधेयक को वापस लेने की भावना व्यक्त की है। पाटिल ने कहा कि इसे देखते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से विनती की है कि सरकार इस नए विधेयक पर पुन: विचार करे। संभव है कि सरकार आगामी विधानसभा सत्र में इस विधेयक को वापस ले सकती है।
पाटिल ने बताया कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी पशुपालकों की मांग को जायज बताया है। शाह ने भी इस नए विधेयक को वापस लेने की भावना व्यक्त की है। पाटिल ने कहा कि इसे देखते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से विनती की है कि सरकार इस नए विधेयक पर पुन: विचार करे। संभव है कि सरकार आगामी विधानसभा सत्र में इस विधेयक को वापस ले सकती है।
घर-घर लाइसेंस लेना योग्य नहीं
पाटिल ने कहा कि महानगर पालिकाओं के मौजूदा कानून आवारा पशुओं की समस्या पर काबू पाने के लिए पर्याप्त हैं। उसमें जो दंड और सजा के प्रावधान हैं, वह भी पर्याप्त हैं। ऐसे में नए विधेयक में जो दंड और सजा के प्रावधान किए हैं, उसके तहत घर-घर गाय-पशु के लिए घर-घर लाइसेंस लेना होगा। ऐसा करना योग्य नहीं है।
पाटिल ने कहा कि महानगर पालिकाओं के मौजूदा कानून आवारा पशुओं की समस्या पर काबू पाने के लिए पर्याप्त हैं। उसमें जो दंड और सजा के प्रावधान हैं, वह भी पर्याप्त हैं। ऐसे में नए विधेयक में जो दंड और सजा के प्रावधान किए हैं, उसके तहत घर-घर गाय-पशु के लिए घर-घर लाइसेंस लेना होगा। ऐसा करना योग्य नहीं है।
ये प्रावधान हैं नए विधेयक में
गुजरात शहरी इलाकों में मवेशी नियंत्रण (रखना व हेराफेरी) विधेयक-2022 के प्रावधान के तहत शहरी इलाकों में मवेशियों को रखने के लिए लाइसेंस जरूरी। कानून लागू होने के 90 दिनों के भीतर पशुपालकों को लाइसेंस लेना होगा। सभी मवेशियों को टैग लगाने होंगे। लाइसेंस मिलने के पन्द्रह दिनों के यह टैग भीतर लगवाना होगा। कानून का उल्लंघन करने वाले पशुपालकों को एक वर्ष की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही कम से कम पांच हजार रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक के जुर्माना का प्रावधान किया गया है। साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्रों में घास-चारा की बिक्री करने पर प्रतिबंध का भी प्रावधान किया जाएगा।
गुजरात शहरी इलाकों में मवेशी नियंत्रण (रखना व हेराफेरी) विधेयक-2022 के प्रावधान के तहत शहरी इलाकों में मवेशियों को रखने के लिए लाइसेंस जरूरी। कानून लागू होने के 90 दिनों के भीतर पशुपालकों को लाइसेंस लेना होगा। सभी मवेशियों को टैग लगाने होंगे। लाइसेंस मिलने के पन्द्रह दिनों के यह टैग भीतर लगवाना होगा। कानून का उल्लंघन करने वाले पशुपालकों को एक वर्ष की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही कम से कम पांच हजार रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक के जुर्माना का प्रावधान किया गया है। साथ ही प्रतिबंधित क्षेत्रों में घास-चारा की बिक्री करने पर प्रतिबंध का भी प्रावधान किया जाएगा।