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अहमदाबाद

Ahmedabad civil hospita: चलने फिरने में असमर्थ हुआ किशोर फिर से दौडऩे लगा

रीढ़ के हड्डी मेें आई खामी के चलते…
 
आठ से दस लाख के खर्च में होने वाली सर्जरी निशुल्क

अहमदाबादJul 28, 2021 / 08:19 pm

Omprakash Sharma

Ahmedabad  civil hospita:  चलने फिरने में असमर्थ हुआ किशोर फिर से दौडऩे लगा

Ahmedabad civil hospita: चलने फिरने में असमर्थ हुआ किशोर फिर से दौडऩे लगा

अहमदाबाद. कुछ कदम चलने में ही दर्द से कराह उठने वाला राजस्थान निवासी भरत (16) उस दौरान खुशी से झूम उठा था जब एशिया के सबसे बड़े अहमदाबाद सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे पीड़ा से मुक्त कर दिया। दरअसल गर्दन के भाग में रीढ़ की हड्डी का तालमेल डगमगाने और हड्डी का एक हिस्सा दिमाग तक पहुंचने के कारण उसे गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ रहा था। इससे पूर्व राजस्थान के जोधपुर स्थित एक अस्पताल ने आठ से दस लाख रुपए में ऑपरेशन करने के लिए तो कहा था लेकिन पीड़ा मुक्त होने की गारंटी नहीं थी।
राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले भरत की गर्दन में गंभीर चोट लग गई और उसे चलने फिरने में काफी परेशानी होने लगी थी। लंबे समय तक उसने पीड़ा झेली। ऐसे में परिजन उसे लेकर जोधपुर ले गए। जहां सरकारी और निजी अस्पतालों के चक्कर भी काटे लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ। एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने ऑपरेशन कराने का यह कहकर सुझाव भी दिया कि लगभग 10 लाख रुपए खर्च आएगा और ठीक होने की गारंटी नहीं है। बताया गया है कि किशोर के परिजनों के पास न तो उतनी रकम थी और यदि रकम होती भी तो ऑपरेशन इसलिए नहीं करवाते कि ठीक होने की गारंटी नहीं थी। अन्त में किसी के कहने पर पिछले दिनों भरत को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल लाया गया। जहां जांच में पता चला कि भरतभाई के रीढ़ की हड्डी के दो मोती (सी1 और सी2) के हिस्से दिमाग तक खिसक गए थे। भरत की गर्दन के भाग में असहनीय पीड़ा थी जिसका अन्दाजा चिकित्सकों ने लगाया था।
अपने आप में थी जटिल सर्जरी
सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एवं स्पाइन विभागाध्यक्ष डॉ. जे.वी. मोदी ने बताया कि भरत की रीढ़ की हड्डी का ऊपरी हिस्से का तालमेल नहीं होने के कारण उसे असहनीय पीड़ा हो रही थी। ऐसी स्थिति में सर्जरी करना भी बड़ा रिस्क था लेकिन न्यूरो मानिटङ्क्षरंग के साथ दो घंटे में यह ऑपरेशन किया। यह अपने आप में जटिल सर्जरी थी। डॉ. जे.वी. मोदी और उनकी टीम के स्पाइन फेलो डॉ. सागर, डॉ. हर्शल और एनेस्थीसिया विभाग के चिकित्सकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब भरत पहले की तरह आसानी से चलने में सक्षम हैं।
मजबूरी में चुन ली थी दर्दभरी राह
भरत के परिजनों ने बताया कि जोधपुर में एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने उपचार में भारीभरकम खर्च और कोई गारंटी नहीं देने की बात कही थी तब काफी चिन्ता हो गई थी। उस दौरान दर्द के साथ जीवन जी लेना ही चुनना मजबूरी हो गई थी। लेकिन जब एक मित्र ने अहमदाबाद में जाने की सलाह दी थी तो यह सब कुछ बहुत आसान हो गया। किशोर के आराम होने पर परिजनों ने गुजरात सरकार की सुविधाओं और सिविल अस्पताल के चिकित्सकों का आभार भी माना।

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