अहमदाबाद. भगवान गणपति को गुरुवार को अहमदाबाद शहर सहित राज्यभर में लोगों ने नाचते-गाते विदाई दी। गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ...के नाद के साथ डीजे, ढोल, नगाड़ों की धुनों पर नाचते गाते हुए लोग बप्पा की प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए शोभायात्रा निकालते हुए साबरमती रिवरफ्रंट पर बनाए गए विसर्जन कुंडों की ओर ले जा रहे थे। विसर्जन कुंडों सहित शोभायात्रा वाले मार्ग पर शहर पुलिस की ओर से कड़ा बंदोबस्त किया गया था। साथ ही अहमदाबाद दमकल विभाग की ओर से भी हर विसर्जन कुंड पर बड़ी-बड़ी दो से चार क्रेनों की व्यवस्था की गई थी। शहर में 56 विसर्जन कुंड बनाए गए थे। बड़ी प्रतिमाओं को क्रेनों की मदद से कुंड में विसर्जित किया गया। साबरमती नदी में सीधे प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक थी, लेकिन इंदिरा ब्रिज इलाके में छठ घाट व उसके आसपास ज्यादा भीड़ हो जाने से घाट पर भी प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया। गणेश चतुर्थी को गणपति प्रतिमा की स्थापना करने के 10 दिन बाद गुरुवार को लोग पैदल, कार से, ऑटो रिक्शा से, माल वाहक वाहन से, साइकिल पर, पैदल रिक्शा से प्रतिमाओं को लेकर विसर्जन कुंड पर पहुंच रहे थे।
अहमदाबाद. भगवान गणपति को गुरुवार को अहमदाबाद शहर सहित राज्यभर में लोगों ने नाचते-गाते विदाई दी। गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ...के नाद के साथ डीजे, ढोल, नगाड़ों की धुनों पर नाचते गाते हुए लोग बप्पा की प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए शोभायात्रा निकालते हुए साबरमती रिवरफ्रंट पर बनाए गए विसर्जन कुंडों की ओर ले जा रहे थे। विसर्जन कुंडों सहित शोभायात्रा वाले मार्ग पर शहर पुलिस की ओर से कड़ा बंदोबस्त किया गया था। साथ ही अहमदाबाद दमकल विभाग की ओर से भी हर विसर्जन कुंड पर बड़ी-बड़ी दो से चार क्रेनों की व्यवस्था की गई थी। शहर में 56 विसर्जन कुंड बनाए गए थे। बड़ी प्रतिमाओं को क्रेनों की मदद से कुंड में विसर्जित किया गया। साबरमती नदी में सीधे प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक थी, लेकिन इंदिरा ब्रिज इलाके में छठ घाट व उसके आसपास ज्यादा भीड़ हो जाने से घाट पर भी प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया। गणेश चतुर्थी को गणपति प्रतिमा की स्थापना करने के 10 दिन बाद गुरुवार को लोग पैदल, कार से, ऑटो रिक्शा से, माल वाहक वाहन से, साइकिल पर, पैदल रिक्शा से प्रतिमाओं को लेकर विसर्जन कुंड पर पहुंच रहे थे।