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संबंधों पर भी भारी कोरोना का संक्रमण: कोरोना काल में बढ़ रही बुजुर्गों को घर से बेदखल करने की सोच

locationअहमदाबादPublished: Sep 13, 2020 05:54:45 pm

Ahmedabad, Gujarat, Old age home, senior citizen, Corona, Covid 19, Family वृद्धाश्रमों में खाली जगह की पूछताछ हुई दो गुनी, कोरोना की वजह से घर भी नहीं ले गए कई लोग

संबंधों पर भी भारी कोरोना का संक्रमण: कोरोना काल में बढ़ रही बुजुर्गों को घर से बेदखल करने की सोच

संबंधों पर भी भारी कोरोना का संक्रमण: कोरोना काल में बढ़ रही बुजुर्गों को घर से बेदखल करने की सोच

नगेन्द्र सिंह/ओमप्रकाश शर्मा

अहमदाबाद. कोरोना का संक्रमण संबंधों पर भी भारी पड़ रहा है। महामारी के समय भी अपने ही अपनों से मुंह मोड़ रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों को भेजने को लेकर पूछताछ दोगुनी तक हो गई है। आम दिनों की तुलना में दो गुने लोग फोन कर वृद्धा श्रमों में जगह खाली है या नहीं होने की पूछताछ कर रहे हैं। यह तो गनीमत रही लॉकडाउन की, जिसके चलते वृद्धाश्रमों ने भी नए बुजुर्गों को रखने के संबंध में फिलहाल रोक लगा रखी है। ज्यादातर वृद्धाश्रमों में जगह भी खाली नहीं है। अनलॉक के चौथे चरण में भी यही हाल है।
कोरोना के समय बुजुर्गों को मौसमी सर्दी, बुखार, पैर दर्द या अन्य बीमारी होने पर भी उनके परिजन उन्हें उनके ही घर ले जाने से कतरा रहे हैं। इनमे से कईयों के उस आशियाने को तो इन बुजुर्गों ने ही खून पसीने की कमाई से बनाया होगा। वृद्धाश्रमों से फोन किए जाने पर कई जबाव ही नहीं दे रहे। वहीं अलग-अलग बहाने बनाकर मुंह मोड़ रहे हैं। परिजन छोटे से कमरे में भी एक साथ तीन से चार बच्चों को रखकर पाल लेते हैं, लेकिन उनकी संतान के बड़े बंगले में भी बुजुर्गों के लिए जगह नहीं है।
कुछ लोग इसकी वजह कोरोना के चलते लोगों की आय में आई भारी कमी को बता रहे हैं तो कुछ नौकरी का छिन जाना और व्यापार में छाई मंदी को मान रहे हैं। विकास, शिक्षा के इस युग में जिन माता-पिता ने बच्चों को अपना पेट काटकर, भूखे रहकर पाला पोसा, पढ़ाया लिखाया वही बच्चे माता-पिता के बुजुर्ग होने पर उन्हें वृद्धाश्रमों में छोड़ रहे हैं। इस बारे में सोच रहे हैं। जबकि बुजुर्ग अवस्था में ही माता-पिता को सबसे ज्यादा जरूरत अपने बच्चों की होती है।
म.प्र., राजस्थान, मुंबई से भी आ रहे हैं फोन

अहमदाबाद शहर के वस्त्रापुर इलाके में कृष्णधाम वृद्धाश्रम चलाने वाले राजीव गोयल बताते हैं कि यह बात सही है कि कोरोना की महामारी फैलने के बाद बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में रखने के लिए उनके पास आने वाले फोन कॉल की संख्या बढ़ गई है। ये दोगुनी हो गई है। पहले जहां हर दिन के चार से पांच कॉल उनके पास आते थे, अब 8 से 10 फोन हर रोज आ रहे हैं। अहमदाबाद ही नहीं गुजरात भर से, मध्यप्रदेश और राजस्थान तक से उनके पास फोन आ रहे हैं। उनके यहां 15 बुजुर्ग रहते हैं। कोरोना के समय में भी उन्हें घर नहीं भेजा।
ऐसा ही कहना था ओल्ड एज होम आंबली गांव के गोविंदभाई का। उन्होंने कहा कि उनके वृद्धाश्रम में 76 बुजुर्ग रहते हैं। कोरोना संकट काल आने के बाद से वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को रखने के लिए लोगों के फोन दोगुने आने लगे हैं। हर दिन पांच से सात फोन आते हैं। पहले ये संख्या दो-तीन तक ही सीमित थी। अहमदाबाद के सबसे बड़े वृद्धाश्रम में भी अहमदाबाद और गुजरात के साथ-साथ मुंबई से फोन आ रहे हैं कि वे अपने बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में रखना चाह रहे हैं।

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कोरोना काल में भी घर ले जाने से कतराए

कोरोना संक्रमण काल में जब वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों को अपनों की खास जरूरत थी। वे याद भी करते थे, ऐसे समय में भी उनके परिजनों ने उनसे दूरी बनाई। वृद्धाश्रम से ऐसे बुजुर्गों के परिजनों को कुछ दिन घर ले जाने के लिए फोन किए गए जो मौसमी सर्दी, जुकाम, बुखार से पीडि़त थे, लेकिन कईयों ने तो जवाब तक नहीं दिया। कुछ ने कहा उनकी सोसायटी में अभी किसी को आने नहीं दे रहे। उनके घर के आसपास कोरोना के मरीज हैं। वे कैसे ले जाएं। जो ले गए वे भी 15 दिन में फिर छोड़ गए। उनके यहां मुंबई से भी फोन आ रहे हैं। लेकिन 160 बुजुर्ग पहले से ही हैं। जगह खाली नहीं है, जिससे वे नए बुजुर्गों को नहीं ले रहे हैं।
-डिंपल ए. शाह, ज्वाइन्ट मैनेजिंग ट्रस्टी, जीवन संध्या

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पढ़े लिखे भी पीछे नहीं, शुरू की है बुजुर्ग पेंशन

जनरेशन गेप, समय में बदलाव पहले सेे ही बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में भेजने की बड़ी वजह रहे हैं। अब कोरोना काल में नौकरी का चले जाना, वेतन का घटना, धंधे में मंदी भी वजह हैं। जिनकी संतान अन्य शहर या अन्य देशों में नौकरी कर रहे हैं, वे भी वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं। बुद्धिजीवी लोग भी अपने बुजुर्गों के साथ ऐसा कर रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने वृद्धाश्रमों में रहने वालों के लिए प्रति माह 500 रुपए की पेंशन स्कीम शुरू की। फाउंडेशन 177 बुजुर्गों को पेंशन दे रहा है, ताकि विपरीत समय में उनकी कुछ तो मदद हो। क्योंकि वे वृद्धाश्रम में रहकर भी नाती-पोतों के जन्मदिन पर उन्हें उपहार देना नहीं भूलते।
-शरद अग्रवाल, अध्यक्ष, पीर पराई फाउंडेशन

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कोरोना काल में ये दिखे बदलाव

-कोरोना के चलते नौकरी का छूट जाना
-कोरोना के चलते धंधे, व्यवसाय में गिरावट
-घर में देखभाल करने वाला कोई नहीं
-सोसायटी में किसी को नहीं आने दे रहे बना रहे हैं ये बहाना
-घर के आसपास कई कोरोना मरीज, संक्रमण का खतरा
-बीमार होने पर कौन करेगा देखरेख, परिजनों को भी संक्रमण का डर
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