Dr. Mayur, Dr. Jaimin and Dr. Abhijeet
अहमदाबाद. आज के जमाने में चिकित्सा पद्धति में नए-नए अविष्कार देखने को मिल रहे हैं। सिविल अस्पताल कैंपस के गुजरात कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (जीसीआरआई) के चिकित्सकों ने हाल ही में एक ऐसा अनूठा ऑपरेशन किया है जिसमें लिक्विड के रूप में नाइट्रोजन का उपयोग कर महिला को कैंसर से मुक्ति दिलाई है। दरअसल ५० वर्षीय महिला की जांघ की हड्डी को कैंसर के मांस ने इसकदर चपेट में ले लिया कि अन्य कोई विकल्प नहीं था। एक विकल्प था जिसमें महिला को एक पैर गंवाना पड़ता। अब न सिर्फ कैंसर से मुक्ति मिली है बल्कि उसका पैर भी बच गया। चिकित्सकों की भाषा में इस उपचार पद्धति को क्रायो सर्जरी कहा जाता है।
अहमदाबाद में रहने वाली एक महिला की बांये पैर की जांघ की हड्डी में असह दर्द और सूजन के साथ जीसीआरआई में लाया गया था। जहां चिकित्सकों ने जांच की तो पता चला कि उसे कैंसर है। लियोमायोसार्कोमा अर्थात हड्डी के ऊपर के भाग को कैंसर ने जकड़ लिया था। अस्पताल के ऑर्थोपेडिक ऑन्कोसर्जन डॉ. अभिजीत सलुंके ने बताया कि हड्डी के ऊपर जो मांस था वह पूरी तरह कैंसर की गांठ बन गई थी और धीरे धीरे हड्डी में जाने लगा था। जिससे महिला के पैर की क्रायो सर्जरी की गई। ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक डॉ. अभिजीत सलुंके, डॉ. जयमिन शाह एवं डॉ. मयूर कमानी का दावा है कि इस तरह का गुजरात में पहला ऑपरेशन है।
क्या है क्रायोसर्जरी
डॉ. सलुंके ने बताया कि महिला के पैर को बचाने के लिए इस सर्जरी को करना पड़ा था। इसमें माइनस १८० लिक्विड नाइट्रोजन का उपयोग किया गया। जिसमें कैंसरग्रस्त हड्डी को काटकर लिक्विड में बीस मिनट तक रखा गया और पुन: प्रत्यारोपित किया गया।
बहुत कम मरीज और पहला ऑपरेशन
चिकित्सकों का कहना है कि वैसे लियोमायोसर्कोमा नामक कैंसर के मरीज लाखों मरीजों में से कोई एक होता है। विश्व मेें भी इस तरह का ट्रीटमेंट बहुत कम होता है। गुजरात में तो यह पहला है। आमतौर पर कैंसर ग्रस्त हड्डी को रेडियोथेरेपी के माध्यम से सेक किया जाता है लेकिन इस पद्धति में किसी तरह के सेक की जरूरत नहीं है। फिलहाल महिला की हालत भी अच्छी बताई गई है।
क्रायोसर्जरी से होगा लाभ
जीसीआरआई में की गई क्रायो सर्जरी से कैंसर के मरीजों को काफी लाभ होगा। इस्टीट्यूट में देश के विविध राज्यों के मरीज उपचार के लिए आते हैं। वैसे इस तरह की पद्धति से ऑपरेशन करने में लाखों रुपए खर्च आता है लेकिन यहां महिला का निशुल्क ऑपरेशन किया गया।
डॉ. शंशाक पंड्या, निदेशक जीसीआरआई