अगले माह आरंभ होने की संभावना, टावर पर रस्सी लगा कर ट्रॉली का ट्रायल शुरू, छह नंबर का टावर सबसे ऊंचा करीब 67 मीटर है, जो कि गिरनार के एक हजार सीढ़ी के पास स्थित है।
Ahmedabad News : जूनागढ़ : एशिया का सबसे बड़ा गिरनार का रोपवे प्रोजेक्ट अंतिम चरण में
जूनागढ़. एशिया के सबसे बड़े गिरनार रोपवे प्रोजेक्ट अब अंतिम चरण में है। जूनागढ़ में भवनाथ की तलहटी से गिरनार पर्वत की चोटी तक जाने वाले लोगों को अब जल्द ही रोपवे के रूप में नायाब तोहफा मिलेगा। माना जा रहा है कि अक्टूबर तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। ऑस्ट्रिया से चार विशेषज्ञकों की टीम रोपवे के अंतिम कार्य को पूरा करने में जुटी है। टावर पर रस्सी लगाकर ट्रॉली का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। सर्वप्रथम खाली ट्रॉली और फिर वजन के साथ ट्रॉली का ट्रायल किया जा रहा है। गिरनार रोपवे प्रोजेक्ट भवनाथ तलहटी से पर्वत पर स्थित अंबाजी मंदिर तक है। इसमें नौ टावर लगाए गए हैं। इसमें छह नंबर का टावर सबसे ऊंचा करीब 67 मीटर है, जो कि गिरनार के एक हजार सीढ़ी के पास स्थित है।
कोरोना के चलते रूका था काम, अब तेजी कोरोना महामारी के चलते यहां पर प्रोजेक्ट का काम रुक गया था। अब फिर से काम तेजी से चल रहा है। सभी विशेषज्ञ पूरी तरह से आइसोलेशन में काम कर रहे हैं। कोरोना से पहले यह प्रोजेक्ट मई के अंत तक पूरा होने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब इस प्रोजेक्ट के अक्टूबर माह तक आरंभ होने की संभावना है।
गिरनार रोपवे गुजरात सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। राज्य और केन्द्र सरकार की सीधी देखरेख में समग्र प्रोजेक्ट का कार्य किया जा रहा है। रोपवे प्रोजेक्ट से तीर्थयात्रियों के समय और ऊर्जा दोनों की बचत होगी। कुछ ही समय में जूनागढ़ का गिरनार रोपवे पर्यटन के क्षेत्र में आकर्षण का केन्द्र बन जाएगा।
सात मिनट में पहुंच सकेंगे भवनाथ की तलहटी से गिरनार पर्वत पर अंबाजी मंदिर की दूरी 2.3 किलोमीटर है। इसे रोपवे के जरिए सिर्फ सात मिनट में पूरा किया जा सकेगा। शुरुआत में 24 ट्रॉली लगाई जाएगी। एक ट्रॉली में आठ लोग बैठेेंगे। इससे एक फेरे में 192 यात्री जा सकेंगे।