लोगों का मानना है कि इस गांव के लोग कभी पानीजनित बीमारी से पीडि़त नहीं होते हैं। माटलिया धरा का पानी बाहर से आए श्रद्धालु अपने साथ ले जाते हैं। मोरबी और आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु पैदल चल कर मंदिर पहुंचते हैं। शनिवार रात पदायात्रियों की सेवा करने के लिए सेवाभावी लोग मोरबी-वांकानेर राजमार्ग पर शिविर लगाते हैं। राज्य सरकार ने माटेल गांव मंदिर का समावेश पवित्र यात्राधाम में किया है। सरकार ने इस मंदिर के विकास के लिए एक करोड़ रुपए भी दिए हैं।