भारत की ज्ञान परंपरा को अपने शोध का विषय बनाते हुए सलमा ने वेद, उपनिषद और पुराणों में दिए गए धृष्टांतों का उल्लेख किया। उसने बताया कि जब वह स्कूल में थी, तब से उसे संस्कृत भाषा में विशेष रुचि थी। वेद और पुराण का अध्ययन करना उसे बहुत अच्छा लगता था। इसके बाद से ही उसने संस्कृत विषय में उच्च शिक्षा हासिल करने का निर्णय किया था।
सलमा ने बताया कि हिन्दू धार्मिक ग्रंथ संस्कृत में है, इसलिए इसे देवताओं की भाषा की मान्यता दी गई है। उसका मानना है कि भाषा को धर्म से जोडऩे की जगह विद्यार्थियों को यह स्वतंत्रता दी जानी चाहिए कि वह जिस भाषा में चाहे पढ़ाई करें। वह अपनी पसंद की भाषा का चयन कर सके। जब गुरु और शिष्य परंपरा थी तब विद्यार्थियों को यह सिखाया जाता था कि वह समाज के सभी लोगों का सम्मान करें। यह मूल तत्व आज की प्रणाली से गायब हो चुका है। सलमा ने कहा कि उसका मनना है कि अनिवार्य रूप से संस्कृत सिखाना चाहिए। उसे संस्कृत की शिक्षिका बनने की अभिलाषा है। उन्होंने आशा जताई कि सरकार ऐसी कोशिश करें जिससे संस्कृत भाषा आम जन तक पहुंच सके।