हार्दिक-कृणाल के पिता को खूब पसंद था क्रिकेट
हार्दिक के पिता हिमांशु पंडया सूरत में फाइनांस का कारोबार करते थे। कुछ समय बाद वर्ष 1998 में वे कारोबार बंद कर वडोदरा जाने को विवश हुए थे। इस वक्त हार्दिक महज पांच वर्ष के थे। वडोदरा में परिवार किराया के मकान में रहता था। हार्दिक के पिता को क्रिकेट बहुत ही पसंद था। वे हमेशा अपने दोनों बेटों को अपने प ास बैठा कर क्रिकेट का मैच दिखाते थे। कई बार मैच दिखाने अपने साथ स्टेडियम भी ले जाते थे।
हिमांशु पंडया आर्थिक तंगी होने के बावजूद अपने बेटों हार्दिक और कृणाल को क्रिकेट की तालीम देने के लिए किरण मोरे के एकेडमी में नामांकन दिलाया था। हार्दिक कक्षा नौ में फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने सम्पूर्ण रूप से क्रिकेट पर ध्यान देने के लिए पढ़ाई छोड़ दी। हार्दिक 17 वर्ष के थे तो उनके पास अपनी क्रिकेट किट भी नहीं थी। दोनों भाइयों ने करीब एक साल तक वडोदरा क्रिकेट एसोसिएशन के पास से क्रिकेट किट लेकर काम चलाया।
आईपीएल में भाइयों के चयन से परिवार के दिन फिरे
अंडर-19 क्रिकेट दरम्यान हार्दिक और कृणाल के पास पैसे की खूब कमी थी। इसके कारण खान-पान के लिए दोनों भाई किसी तरह काम चलाते थे। इस दौरान परिवार की हालत भी ठीक नहीं थी। आईपीएल में मुंबई इंडियन्स ने जब हार्दिक की बोली लगाई तब से परिवार का जीवन-स्तर बदल गया। इसके बाद हार्दिक ने लगातार बेहतर प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम में जगह बना ली।
हार्दिक के पुत्र होने पर गदगद हुए थे हिमांशु
भारतीय क्रिकेट टीम के हरफनमौला खिलाड़ी हार्दिक की पत्नी नताशा ने छह महीना पहले आणंद के हॉस्पिटल में पुत्र को जन्म दिया था। यह खुशखबरी मिलने पर हार्दिक के माता-पिता दोनों आणंद के हॉस्पिटल पहुंचे और खुशी प्रकट की थी।