तालाला क्षेत्र के किसानों का कहना है कि उनकी आजीविका का एकमात्र साधन केसर आम है। आग के बगीचों से उनकी रोजी-रोटी चलती है। पिछले साल लॉकडाउन की वजह से गंभीर आर्थिक मार पड़ी थी, इस बार उन्हें फसल से बड़ी उम्मीद थी। परंतु कीट हमले ने उनकी कमर तोड़ दी है।
इस क्षेत्र के किसान फसल बीमा कवच की मांग करते हैं। इनका कहना है कि किसानों की आय का एकतात्र जरिए पर हर वर्ष कोई ना कोई आफत आती है, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। गिर सोमनाथ जिले की तालाला तहसील भारतीय किसान संघ के प्रमुख प्रवीण छोडवडिया ने शासन-प्रशासन ने किसानों को फसल बीमा देने की मांग की है।
ग्लोबल वार्मिंग का असर
पिछले करीब 10 वर्ष से ग्लोबल वार्मिंग का असर फसल पर देखा जा रहा है, जिसके कारण आम की उपज हर साल कम होते जा रही है। लोग आम के बगीचे काट कर खेती शुरू करने लगे हैं। तालाला क्षेत्र के 45 गांवों में खेती लायक 29760 हेक्टेयर जमीन में से 13500 हेक्टेयर जमीन पर आम के बगीचे लगे हैं। पूरे क्षेत्र में करीब 14 से 15 लाख आम के पेड़ है। यदि यही स्थिति रही तो पेड़ों की संख्या घटने लगेगी।
पिछले साल बारिश का मौसम लंबा था, फिर दिसंबर-जनवरी के दौरान भी बेमौसम बारिश होती रही।इससे आम की फसल को व्यापक क्षति पहुंची है। नमीयुक्त वातावरण के कारण आम के पेड़ों पर मोर आने के बाद कीड़ों की मार पड़ी है, वहीं फलों को भी क्षति पहुंची है। अब यदि अभी की तरह तेज गर्मी होती रही तो बची फसल लोगों तक पहुंच सकती है।
जी आर गोहिल, एसोसिएट डायरेक्टर ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन
जूनागढ़ कृषि यूनिवर्सिटी