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Gujarat Positive News : मत्स्य बीज हेचरी के जरिए 20 युवकों को दिया रोजगार

locationअहमदाबादPublished: Jul 11, 2021 09:22:55 am

Submitted by:

Binod Pandey

आणंद के 10वीं पास युवक की उद्यमशीलता

Gujarat Positive News :  मत्स्य बीज हेचरी के जरिए 20 युवकों को दिया रोजगार

Gujarat Positive News : मत्स्य बीज हेचरी के जरिए 20 युवकों को दिया रोजगार

बुरहान पठाण
आणंद. मत्स्य किसान के रूप में पहचान बना चुके आणंद के अशरफ मेमण महज कक्षा 10वीं पास हैं, लेकिन उन्होंने अपने परिश्रम और लगन की बदौलत बोरसद के युवक के साथ मिलकर भारतीय मेजर कार्प मत्स्य बीज हेचरी की स्थापना कर 20 से अधिक युवकों को रोजगार भी देने में सफल हुए हैं। उनकी सफलता मत्स्याटन करने वालों के लिए प्रेरणा बन गया है जिससे लोग आत्मनिर्भर हो सकते हैं।
पहला भारतीय मेजर कार्प मत्स्यबीज हेचरी शुरू की

आणंद शहर के भालेज रोड पर रहने वाले अशरफभाई मेमण बचपन से ही साहसिक कार्य करने में रुचि रखते थे। उन्होंने राज्य सरकार के मत्स्योद्योग योजना के तहत मछलीपालन का व्यवसाय शुरू किया। समग्र गुजरात में पहली बार सुरमई मछली का सफल उत्पादन कर मिसाल कायम की। इनकी सफलता के बाद राज्य भर से मत्स्यपालक सुरमई मछली का पालन को देखने इनकी हेचरी पर आने लगे। आणंद, खेड़ा जिले में एक भी मत्स्य बीज हेचरी नहीं होने के कारण मत्स्यपालक बीज के लिए कोलकाता और दूसरे राज्यों पर निर्भर थे। कई बार मत्स्य बीज गुणवत्ता युक्त नहीं होने के कारण किसानों को बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ता था। जिले के मत्स्योद्योग कार्यालय के अधिकारियों के मार्गदर्शन और सलाह को ध्यान में रखा। उन्होंने कक्षा सातवीं पास बोरसद के मत्स्य पालक मोहसीनभाई मलेक के साथ मिलकर बोरसद के निसराया रोड पर आंबलियारा तालाब के पास खेड़ा आणंद जिले का पहला भारतीय मेजर कार्प मत्स्यबीज हेचरी की शुरुआत की।
Gujarat Positive News : मत्स्य बीज हेचरी के जरिए 20 युवकों को दिया रोजगार
स्थानीय मत्स्यबीज मिलने से उत्पादन बढाने में मदद
स्थानीय मत्स्यपालकों को स्थानीय तालाब के पानी और आबोहवा में तैयार हुए मत्स्यबीज मिलने से मछली उत्पादकों को उत्पादन वृद्धि होने लगी। इससे उनके मत्स्यबीज की मांग भी बढ़ी। आज उनकी हेचरी मेें 20 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा आणंद, खेड़ा जिले के 1500 से अधिक मत्स्य पालकों को वे प्रोत्साहित कर उन्हें मत्स्योद्योग के प्रति प्रोत्साहित कर उन्हें आत्मनिर्भर होने में मददगार साबित हो रहे हैं।
चार दिन में 8-10 करोड़ मत्स्यबीज उत्पादन
अशरफ मेमण ने बताया कि उनकी हेचरी में मछलियों की ब्रीडिंग करवाने के बाद अंडे को एकत्रित किया जाता है। इसके बाद अंडों से छोटे-छोटे बच्चे निकलने तक उनकी देखरेख की जाती है। हेचरी के दो यूनिट में चार दिन के दौरान करीब 8 से 10 करोड़ मत्स्यबीज उत्पादित किए जाते हैं। यह बीज ही मत्स्यपालक उनसे ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि हेचरी के निर्माण में सहायक मत्स्योद्योग निदेशक आर पी सखरलिया की तरफ से सहयोग और प्रोत्साहन दोनों मिला। उनकी ओर से समय-समय पर दिया गया मार्गदर्शन भी काम आया और उनकी हेचरी में सफल उत्पादन शुरू हो पाया। पिछले एक वर्ष में उनके पास 20 से अधिक परिवार रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही हेचरी से उत्पादित बीजों के साथ करीब 1500 से अधिक मत्स्यपालक मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। राज्य सरकार यदि मत्स्यबीजों में सब्सीडी प्रदान करें तो मत्स्यपालकों को ज्यादा प्रोत्साहन मिलेगा।
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