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Gujarat News : Motivational : ट्रांसजेंडर पायल राठवा की कला के कायल हुए कलक्टर

locationअहमदाबादPublished: Oct 30, 2021 10:30:17 am

Submitted by:

Binod Pandey

आत्मनिर्भर बन सीखा रही स्वाभिमान से जीने का तरीका
वारली पेंटिंग, मिथाली, पिठोतर जैसी कलाओं को दे रही बढ़ावा
सोशल मीडिया के जरिए युवाओं के बीच बना रही पैठ

Gujarat News : Motivational : ट्रांसजेंडर पायल राठवा की कला के कायल हुए कलक्टर

Gujarat News : Motivational : ट्रांसजेंडर पायल राठवा की कला के कायल हुए कलक्टर

रोहित संगाणी/बिनोद पाण्डेय

राजकोट. जीवन को स्वाभिमानपूर्वक जीना है तो खुद के दम पर ही आगे बढऩा होगा। राजकोट की ट्रांसजेंडर पायल राठवा ने इस बात को कबूल करते हुए जीवन में कुछ करने की ठानी है। शहर की दीवारों पर चित्र उकेरती पायल को देखकर लोग अचंभित होते हैं, लेकिन उसके जज्बे को सराहने से नहीं चुकते।

कोरोना की दोनों लहर के शांत होने के बाद वारली, मिथाली, पिठोतर, मढ वर्क, बाम्बू आदि हस्तकला में पारंगत राजकोट की ट्रांसजेंडर पायल को शहर की दीवारों पर चित्र उकेरने का काम मिलने लगा है। इससे वह उत्साहित है। पायल बताती है कि वह आदिवासी परिवार से है, जहां वारली पेंटिंग उसे विरासत में मिला है। इसके जरिए वह सम्मानपूर्वक जीने के लिए जरूरी आजीविका प्राप्त कर लेती है। भातीगल कला वारली चित्रकला से दीवारों से बातें करती पायल को चित्र नगरी प्रोजेक्ट के साथ होटल, रेस्टोंरेंट और कई घरों की दीवारों पर अपनी कला उकेरने का अवसर भी मिला है। वह मिथाली, पिठोतर,, मढ वर्क, बांस हस्तकला समेत अन्य कला में माहिर है। भविष्य में अपनी आर्ट शॉप खोलने की इच्छा रखने वाली पायल इन दिनों काम में व्यस्त है। रोजाना करीब पांच सौ रुपए आर्थिक उपार्जन अपनी कला के जरिए प्राप्त करती है। वह कहती है कि ट्रांसजेंडर को समाज सरलता से स्वीकार नहीं करता है, लेकिन धीरे-धीरे लोग समझ रहे हैं और उन्हेें भी सम्मानपूर्वक जीने में सहयोगी साबित हो रहे हैं।
Gujarat News : Motivational : ट्रांसजेंडर पायल राठवा की कला के कायल हुए कलक्टर
आदिवासी जीवन शैली को पेश करती गेरु और चावल के आटे से बनने वाली वारली आर्ट को लेकर वह सोशल मीडिया पर सक्रिय है, ब्लॉगिंग और दूसरे माध्यमों से वह इस कला को प्रचलित भी करने में योगदान दे रही है।
मूल सुरेन्द्रनगर के किसान परिवार की वह अपने जीवन के बारे में बताती है कि 14 वर्ष की आयु में उसके अंदर शारीरिक बदलाव महसूस हुआ। वह खुद को स्त्री महसूस करने लगी। 12वीं कक्षा के बाद वे सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढ़ाई कर रही थी, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वह बीच में छोडऩे को विवश हो गई थी। जीवन निर्वाह के लिए वह राजकोट आकर कला के सहारे आगे बढऩे लगी। राज्य सरकार ने उसे ट्रांसजेंडर के रूप में पहचान दी है। इसके सहारे वह सम्मानपूर्वक जीने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
कलक्टर ने कार्यालय बुलाया, कला की सराहना की

वारली कला की जानकार पायल के प्रयासों की सराहना करते हुए राजकोट के कलक्टर अरुण महेशबाबू ने उसे मिलने के लिए कलक्टर कार्यालय बुलाया। कलक्टर ने पायल की कला और स्वावलंबी बनने की कोशिश की सराहना की। प्रशासन विभिन्न संस्थाओं की मदद से ट्रांसजेंडर समुदाय के स्कील डवलपमेंट और सामाजिक समानता के लिए वर्कशॉप, सेमिनार आदि का आयोजन करता है। इस अवसर पर पायल ने कलक्टर को आदिवासी संस्कृति के वारली पेंटिंग, बांस में से बनती हस्तकला की वस्तुएं आदि भेंट की।
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