उद्यमियों का कहना है कि एक ओर घरेलू बाजार और निर्यात दोनों ही ठप हैं, वहीं दो महीने के अंतराल में लगातार तीसरी बार गैस का भाव बढ़ाकर उनकी कमर ही तोड़ दी गई।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद डीजल, कोयला और किराया के साथ ही कच्चे माल का भाव बढऩे से उनकी लागत मूल्य लगातार बढ़ रही है। ऐसी विकट परिस्थिति में दो महीने में पांच रुपए और फिर 11 रुपए की भाव वृद्धि से उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सिरेमिक उद्योग संकट में आ गया है।
भाववृद्धि सहन करने की नहीं स्थिति
मोरबी सिरेमिक एसोसिएशन के प्रमुख निलेश जेतपरिया ने कहा कि हाल की स्थिति के अनुसार उद्योग इस तरह की भाव वृद्धि सहन करने की स्थिति में नहीं है। नए भाव वृद्धि के कारण उद्योग पर महीने में 250 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। भाव वृद्धि से उद्यमियों की वर्किंग कैपिटल में भी कमी आई है। अभी बंैकों से राशि लेने के लिए उन्हें नई गैरंटी देनी होगी। छोटे उद्यमियों के सामने विकट परिस्थिति पैदा हो गई है।