रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल के कारण अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं। हड़ताल के पहले जिन मरीजों को प्लान किए गए ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया था। उनमें से अनेक को छट्टी भी दी गई है। उन मरीजों को भी परेशानी हो रही है जो बाहर से उपचार के लिए आए हैं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बाहर से और चिकित्सकों की मांग भी की गई है।
यह है मामला
सिविल अस्पताल के रेजिडेंट चिकित्सकों की माग है कि कोरोना काल में अस्पतालों में दी गईं सेवा को बॉण्ड में एक साल के लिए काउंट किया जाए। इस मांग को लेकर पिछले तेरह दिन से हड़ताल पर हैं। चिकित्सकों का कहना है कि उनकी मांग पूरा नहीं होने तक वे हड़ताल पर रहेंगे।
सिविल अस्पताल के रेजिडेंट चिकित्सकों की माग है कि कोरोना काल में अस्पतालों में दी गईं सेवा को बॉण्ड में एक साल के लिए काउंट किया जाए। इस मांग को लेकर पिछले तेरह दिन से हड़ताल पर हैं। चिकित्सकों का कहना है कि उनकी मांग पूरा नहीं होने तक वे हड़ताल पर रहेंगे।
मैदान में डटे हुए हैं सीनियर चिकित्सक
अस्पताल में हड़ताल के कारण मरीजों को होने वाली परेशानी को ध्यान में रखकर सीनियर चिकित्सकों ने मोर्चा संभाला हुआ है। संभव ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि मरीजों को परेशानी न हो। टाले जा सकने वाले ही ऑपरेशन रद्द किए जा रहे हैं। इमरजेंसी वाले सभी ऑपरेशन हो रहे हैं। यही कारण है कि लगभग एक हजार रेजिडेंट चिकित्सकों के हड़ताल पर होने के बावजूद 13 दिनों में 935 ऑपरेशन किए गए और लगभग 32000 मरीजों को ओपीडी में देखा गया है। यह कार्य बहुत ज्यादा कम भी नहीं है। सीनियर चिकित्सक प्रयास कर रहे हैं कि मरीजों को परेशानी न हो।
डॉ. राकेश जोशी, चिकित्सा अधीक्षक सिविल अस्पताल