शाह शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में गांवों में किसान शक्ति और ग्रामीण किसानों के साथ प्राकृतिक खेती के संबंध में मार्गदर्शन सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की ओर मुडऩे का समय चक्रसही दिशा देने वाला है। जमीन को बंजर होने से बचाने और भूगर्भीय जल को जहरीला बनने से रोकने के लिए रासायनिक खाद मुक्त प्राकृतिक पद्धति से खेती करनी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि क्षेत्र के इस संकट को संकट को परखकर उसका विकल्प तलाशा है। देश के आठ करोड़ से ज्यादा किसान अब प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। यह सर्वे में सामने आया है।
रासायनिक खादों का उपयोग बढ़ता गया शाह ने कहा कि सिंचाई और वैज्ञानिक खेती के अभाव के चलते देश के सामने बहुत बड़ा संकट आया। अनाज को लेकर हम आत्मनिर्भर नहीं थे। इसके चलते हरित क्रांति की शुरुआत हुई। हालांकि इसके साथ रासायनिक खादों के उपयोग की भी शुरुआत हुई। ऐसे में अनाज की दिशा में तो हम आत्मनिर्भर हो गए, लेकिन इसकी समीक्षा नहीं हो सकी। ऐसे में देश की खेती आज घोर संकट की दिशा मेंआगे बढ़ी है।
शाह के मुताबिक रासायनिक खाद के चलते देश की जमीन धीरे-धीरे बंजर होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। केमिकल के अति उपयोग के कारण भूगर्भ जल स्त्रोत तक यह जहर पहुंच चुका है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पानी के जहरीले होने पर कैंसर से पीडि़त हुए लोगों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी। इसलिए इस संकट को पहचानना होगा। जमीन की हालत बिगड़ते और भूगर्भ जल को जहरीला बनाने से रोकने के लिए रासायनिक खादों के उपयोग से मुक्त प्राकृतिक खेती की तरफ लौटने की ओर अब जरूरी है।