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आणंद : गरीब बच्चों को अंग्रेजी का ज्ञान दे रहे इंग्लिश के ट्रेनर

locationअहमदाबादPublished: Sep 04, 2019 11:37:35 pm

Submitted by:

Gyan Prakash Sharma

शिक्षक दिवस पर विशेष, प्रज्ञाचक्षुओं के लिए ब्रेल लिपि आधारित बनाए फ्लेस कार्ड, २० वर्षों से हर रविवार को पढ़ाते हैं

आणंद : गरीब बच्चों को अंग्रेजी का ज्ञान दे रहे इंग्लिश के ट्रेनर

आणंद : गरीब बच्चों को अंग्रेजी का ज्ञान दे रहे इंग्लिश के ट्रेनर

आणंद. महंगी शिक्षा के जमाने में गरीब एवं श्रमिक बालकों के लिए अंग्रेजी की शिक्षा एक सपने के समान है। ऐसे में आणंद में एक इंग्लिश ट्रेनर पिछले २० वर्ष से झोपड़पट्टी एवं श्रमिक क्षेत्रों में जाकर गरीब बच्चों को अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी व गुजराती भी सिखा रहे हैं। इतना ही नहीं, अपितु प्रज्ञाचक्षुओं के लिए तीनों भाषाओं को ज्ञान देने के लिए अपनी सूझबूझ से ब्रेल लिपि आधारित फ्लेस कार्ड पद्धति विकसित की है। फिलहाल पांच स्थलों पर ४५० से अधिक श्रमिक परिवारों के बालकों को शिक्षा दे रहे हैं।
यह इंग्लिश ट्रेनर हैं नितिनभाई प्रजापति, जो चिखोदरा गांव के रहने वाले हैं। उनकी पत्नी मीनाबेन प्रजापति शिक्षिका हैं, जिन्हें श्रेष्ठ शिक्षिका का पुरस्कार भी मिल चुका है।
पांच सेंटरों में सिखाते हैं अंग्रेजी

शहर के पालोलपुरा, गामोटपुरा, एकतानगर, तुलसी टॉकीज नाले के पास, वघासी एवं गणेश ब्रिज के नीचे श्रमिक क्षेत्रों में सेंटर शुरू किए गए हैं, जहां बच्चों को हर रविवार को अगल-अलग समय में पढ़ाने के लिए जाते हैं। वह पिछले २० वर्षं से झोपड़पट्टी क्षेत्रों में जाकर बालकों को निशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। इतना ही नहीं, अपितु वह निजी खर्चों में कटौती करते हुए बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए खर्च करते हैं। इसके लिए वह किसी से रुपए भी नहीं लेते हैं।
इस प्रकार सिखाते हैं :

आणंद शहर में रहनेवाले व व्यवसाय से इंग्लिश ट्रेनर नितिन ने बच्चों को सरलता से अंग्रेजी, हिन्दी व गुजराती सिखाने के लिए एक हजार से अधिक पोस्टर व लकड़ी से अलग-अलग विषय विस्तु के आकार बनाए हैं। इस माध्यम से बालक तेजी से अंग्रेजी सीखते हैं। वह बच्चों के लिए चॉकलेट व बिस्किट भी वितरित करते हैं।
उनके पास तीन प्रज्ञाचक्षु भी पढ़ते हैं, जिनको पढ़ाने के लिए उन्होंने ब्रेल लिपी की मदद से ऑब्जेक्ट बनाए हैं। इससे प्रज्ञाचक्षु मूल अक्षरों के साथ-साथ वस्तु की पहचान कर सकते हैं। बालकों में शिक्षा के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए वह शिक्षा पद्धति में नए-नए प्रयोग करते हैं। बालक भी प्रत्येक रविवार को उनका बेसब्री के इंतजार करते हैं।
शिक्षा ही नहीं, स्वास्थ्य पर भी देते हैं ध्यान

नितिनभाई का कहना है कि गरीब एवं श्रमिकों के बालकों में भी प्रतिभा छिपी रहती है, लेकिन निश्चित मार्गदर्शन के अभाव व परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वे शिक्षा से वंचित रहते हैं। इस कारण उनकी प्रतिभा उजागर नहीं होती और वे शिक्षा का महत्व नहीं समझते हैं। इस कारण वे ऐसे गरीब एवं श्रमिकों के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। मात्र शिक्षा ही नहीं, अपितु समय-समय पर बालकों के स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करते हैं। साथ ही त्योहारों पर किट वितरित की जाती है। खेल-कूद के प्रति भी बालकों में रूचि बढ़े, इसके लिए खेलों पर भी ध्यान देते हैं। उनका मानना है कि बालकों को बिना भार अर्थात दवाब बिना की शिक्षा देनी चाहिए। इन बालकों को वह योग एवं व्यायाम का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं, जिससे तंदुरस्त समाज का निर्माण हो।
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