अनिल शर्मा मूलत: राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के मेहरिया गांव के हैं। पिछले तेरह वर्ष से नारोल में ही ट्रान्सपोर्ट के व्यवसाय से जुड़े अनिल शर्मा का कहना है कि तीन वर्ष पूर्व उन्होंने हर रविवार को गरीब बच्चों को भोजन कराना शुरू किया था। लेकिन गत दस जून से वे प्रतिदिन सुबह गरीब बच्चों को झुग्गी झोंपडियों के आसपास जाकर भोजन कराते हैं। इसके लिए उन्होंने प्रेरणा जनसहयोग ट्रस्ट का भी गठन किया है। उन्होंने भोजन की इस व्यवस्था का नाम रोटी बैंक दिया है। कुछ दिनों तक गरीब बच्चों को पढ़ाना भी शुरू किया था लेकिन आर्थिक परेशानियों के कारण यह व्यवस्था ज्यादा नहीं चल पाई। भोजन की व्यवस्था में प्रतिदिन लगभग साढ़े तीन हजार रुपए खर्च होते हैं।
एक घटना जिसने सब कुछ बदल दिया अनिल भाई का कहना है कि बच्चों को दिए जाने वाले भोजन को वे खुद तैयार करते हैं। कभी-कभी उनके पास समय का अभाव होता है तो वे किसी होटल से भी भोजन खरीदते हैं। भोजन बनाने के काम में उनकी पत्नी सोनम भी मदद करती हैं। अनिलभाई का कहना है कि एक कड़ी धूप में घर से ऑफिस जा रहे थे। उस दौरन नारौल चार रास्ते पर एक बच्चे ने बिस्किट लेने के लिए पांच रुपए मांगे थे। भीषण गर्मी के बीच भी वह बच्चा नंगे पैर था। अनिल ने बच्चे को चप्पल दिलवाई लेकिन बच्चे ने चप्पल तब पहनी थी जब बिस्किट के लिए उसे पांच रुपए मिल गए। पेट की भूख से बच्चे को पैरों के जलने का भी आभास नहीं हो रहा था। इस घटना के बाद से उन्होनें गरीब बच्चों के लिए यह व्यवस्था शुरू की। तब से यह सिलसिला आज भी चल रहा है।