इस मामले में याचिकाकर्ता पत्नी के साथ-साथ पति व अन्य ने प्राथमिकी रद्द करने की गुहार लगाई है। इसमें यह कहा गया कि प्राथमिकी में विवाह के मार्फत जबरन धर्मान्तरण की बात कुछ धार्मिक-राजनीतिक ग्रुप की ओर से दवाब के कारण बाद जोड़ी गई जिससे यह मुद्दा सांप्रदायिक रंग ले सके।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वडोदरा के गोत्री थाने के समक्ष उसकी शिकायत में घरेलू वैवाहिक मुद्दा से ज्यादा कुछ भी नहीं थी। यह भी कहा गया है कि प्राथमिकी में लगाए गएअंतरधर्मीय विवाह जबरन कराए जाने के आरोप सही नहीं हैं। इस मामले में पुलिस पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होने के आरोप लगाए गए हैं।