आर्किटेक अवनि ने आर्किटेक का व्यवसाय छोड़कर जैविक खेती शुरू की है। दुमाड गांव के निकट अपनी ७ बीघे जमीन में वह पिछले चार वर्षों से जैविक खेती करती हैं। फिलहाल उन्होंने खेत में टमाटर, गोभी, लॉकी, गलका, मिर्ची, बीट, गाजर व पालक सहित अनेक प्रकार की सब्जियों की खेती है। वह सब्जियों को वडोदरा में बेचती हैं। जैविक खेती करने का पीछे उनका मूल उद्देश्य लोगों को शुद्ध एवं जैविक सब्जी उपलब्ध कराना है।
अभ्यास के बाद शुरू की जैविक खेती
अवनि का कहना है कि वह आर्किटेक हैं, लेकिन किसान की पुत्री होने से खेती करना ज्यादा पसंद था, जिससे पिछले १० वर्षों से खेती करने पर ध्यान केन्द्रित किया था। उनका कहना है कि उन्हें परम्परागत खेती नहीं करनी थी, अपितु कुछ नया करना चाहती थी। अनेक पुस्तकों का अभ्यास करने के बाद पिछले चार वर्षों से जैविक सब्जी की खेती करना शुरू किया है। उनका कहना है कि जो लोग खेती करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास खेत नहीं हैं, ऐसे लोगों को भी खेत में से ५०० वर्गफीट का प्लॉट चार महीने के लिए किराये पर देकर सब्जी की खेती करा रही हैं।
खेती से पूर्व देतीं हैं प्रशिक्षण
किराये पर जमीन लेने वाले परिवार अपने प्लॉट में होने वाली सब्जी के मालिक बनते हैं। सब्जी की खेती करना चाहते लोगों को सब्जी की खेती से पूर्व सभी प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए वह १५ दिनों तक खेत में बुलाकर सब्जी का ध्यान कैसे रखा जाता है, इसका प्रशिक्षण देती हैं।
उन्होंने खेत में प्रशिक्षण शिविर भी शुरू किया है। जहां विद्यार्थी आते हैं। वहां पर जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है।