अहमदाबाद

चेन फेंसिंग के कारण शेरों का प्राकृतिक इलाका घटा

-शेरों की मौत पर संज्ञान याचिका का मामला….
-राज्य व केन्द्र सरकार को शेरों के संरक्षण के सही आवंटन की रकम बतानी चाहिए
-हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट

अहमदाबादSep 26, 2018 / 12:04 am

Uday Kumar Patel

चेन फेंसिंग के कारण शेरों का प्राकृतिक इलाका घटा

 
अहमदाबाद. एशियाई शेरों की अकस्मात मौत पर दायर संज्ञान याचिका पर उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट पेश की गई। अदालत मित्र की ओर से पेश रिपोर्ट में यह कहा गया था कि राज्य सरकार ने पहले कहा था कि गिर इलाके में 30 हजार खुले कुएं हैं जबकि अतिरिक्त हलफनामे में यह संख्या ५०,५१७ बताई गई है। इस तरह 20 हजार से ज्यादा खुले कुएं के मूूल्यांकन की आवश्यकता है क्योंकि गलत तथ्य से हाईकोर्ट को गुमराह करना अनुचित है।
राज्य सरकार ने यह भी नहीं बताया गया कि इन खुले कुएं को किस तरह से बंद किया जाना है। इन खुले कुएं के इर्द-गिर्द पैरापेट वॉल बनाए जाने की बात का खुलासा नहीं किया गया।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि एक तरफ जहां प्रति शेर के लिए 95 हजार रुपए का आवंटित किया जाता है वहीं बाघ के लिए 9 लाख रुपए दिया जाता है। यदि केन्द्र सरकार की ओर से इस तरह का फंड आवंटन है तब फंड के लिए उचित निर्देश दिए जाने चाहिए। राज्य सरकार की ओर से 4 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। शेरों के संवद्र्धन के लिए राज्य सरकार की ओर से केन्द्र को 150 करोड़ रुपए की आवंटन की गुहार लंबित है।
इसलिए राज्य सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को सही फंड के आवंटन की बात बतानी चाहिए जिससे हाईकोर्ट की ओर से उचित दिशानिर्देश दिए जाएं। जिससे शेरों का समुचित संरक्षण किया जा सके।
उधर यह भी कहा गया कि प्रत्येक शेर के समूह का करीब 260 वर्ग किलोमीटर का इलाका होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में चेन फेंसिंग के कारण सिहों का प्राकृतिक इलाके में कमी आई है। इसलिए शेरों के प्राकृतिक अभ्यारण्य के इलाके के विस्तार को लेकर उचित निर्णय लेना जरूरी है।
गिर अभ्यारण्य से गुजरने वाले रास्ते व हाईवे पर 500 मीटर पर स्पीड गन व कैमरा लगाना चाहिए। इस इलाके में आने वाले खेतों में बिजली के तार से फेंसिंग करने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इस याचिका पर अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को रखी गई है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस वर्ष मार्च महीने में गत दो वर्षों के दौरान 182 एशियाई शेरों की मौत से जुड़े मामले में संज्ञान लिया था।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में खुद संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की। राज्य सरकार ने गत 5 मार्च को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी थी कि 31 दिसम्बर 2017 की स्थिति के अनुसार गत दो वर्षो में 184 एशियाई शेरों की मौत हुई है। इस मुद्दे पर प्रकाशित खबरों को लेकर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। साथ ही यह भी कहा था कि कि शेरों के अप्राकृतिक मौत का मुद्दा काफी गंभीर व संवेदशनील है। सरकार इस मुद्दे को हल्के से नहीं लेना चाहिए।

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