पालने में सो रहे दक्ष को खुद टंकी में फेंका
उन्होंने बताया कि घटना दशा मां के जागरण वाले दिन २० अगस्त की है। घर में भावना, उसकी जेठानी रेखा और ससुर शंकर सिंह थे। ससुर बाहर सो रहे थे। दक्ष पालने में था। इसने जेठानी को खाना खाने के लिए रसोई में भेज दिया और मौका देखकर पालने से दक्ष को लिया और घर के ऊपर पानी की टंकी में फेंक आई। कुछ समय के बाद खुद ने ही घरवालों को बताया कि दक्ष नहीं दिख रहा है। पुलिस कंट्रोलरूम में पहले बच्चे को कोई ले जाने का फोन किया गया। बाद में बालक टंकी से मिला, अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया। इस बीच के घटनाक्रम में जो कडिय़ा कम थीं उन्हें जोड़कर, परिजनों की पूछताछ करने पर 11वें दिन इस गुत्थी को सुलझाने में सफलता मिली।
उन्होंने बताया कि घटना दशा मां के जागरण वाले दिन २० अगस्त की है। घर में भावना, उसकी जेठानी रेखा और ससुर शंकर सिंह थे। ससुर बाहर सो रहे थे। दक्ष पालने में था। इसने जेठानी को खाना खाने के लिए रसोई में भेज दिया और मौका देखकर पालने से दक्ष को लिया और घर के ऊपर पानी की टंकी में फेंक आई। कुछ समय के बाद खुद ने ही घरवालों को बताया कि दक्ष नहीं दिख रहा है। पुलिस कंट्रोलरूम में पहले बच्चे को कोई ले जाने का फोन किया गया। बाद में बालक टंकी से मिला, अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया। इस बीच के घटनाक्रम में जो कडिय़ा कम थीं उन्हें जोड़कर, परिजनों की पूछताछ करने पर 11वें दिन इस गुत्थी को सुलझाने में सफलता मिली।
परिवार को रुलाने के लिए की हत्या
जांच में सामने आया कि रेखाबेन को दो पुत्रियों के बाद दक्ष हुआ था। इसके लिए परिवार ने माता की बाधा भी रखी थी। भावना ने कबूला कि उसने घर में दशामां की प्रतिमा स्थापित की थी। इस दौरान उसके ससुर और जेठ घर में अपवित्र चीज लाते थे। व्रत को दौरान नहीं लाने की गुजारिश की, लेकिन वह नहीं मानते थे। जिससे वह रोते हुए व्रत कर रही थी। एक दिन उसके मन में विचार आया कि जैसे वह रो रही है उसी तरह से पूरे परिवार को रुलाएगी। इसी विचार के दौरान उसने माता की बाधा रखने के चलते पैदा हुए दक्ष की हत्या की साजिश रची और हत्या कर दी। भावना के संतान में एक बालक है।
जांच में सामने आया कि रेखाबेन को दो पुत्रियों के बाद दक्ष हुआ था। इसके लिए परिवार ने माता की बाधा भी रखी थी। भावना ने कबूला कि उसने घर में दशामां की प्रतिमा स्थापित की थी। इस दौरान उसके ससुर और जेठ घर में अपवित्र चीज लाते थे। व्रत को दौरान नहीं लाने की गुजारिश की, लेकिन वह नहीं मानते थे। जिससे वह रोते हुए व्रत कर रही थी। एक दिन उसके मन में विचार आया कि जैसे वह रो रही है उसी तरह से पूरे परिवार को रुलाएगी। इसी विचार के दौरान उसने माता की बाधा रखने के चलते पैदा हुए दक्ष की हत्या की साजिश रची और हत्या कर दी। भावना के संतान में एक बालक है।