डिलीवरी के वक्त पता चला कि गर्भ में शिशु के गले में नाल लिपटी हुई है। शिशु के गर्भ से बाहर आने पर गले में नाल के कसने से उसके जीवन पर संकट पैदा हो गया था। इस बीच सेंटर में नर्स प्रैक्टिशनर मीडवाइफ के तौर पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मी प्रदीप पंचाल ने महिला के संबंध में विशेष जानकारी नहीं होने के बावजूद अपने अनुभव के सहारे शिशु के गले में फांसी की तरह लिपटी नाल को दो तरफ से कलेम्प लगाकर बीच से काट दिया और सफलतापूर्वक प्रसूति कराई। जन्म के साथ शिशु पहले रोता है, लेकिन नवजात ने कोई हलचल नहीं की। गले के ऊपर आए दबाव से उसका चेहरा भी भूरे रंग का हो गया था। वहीं पूरा शरीर गुलाबी था। शिशु को शीघ्र ही लाइफ सेविंग प्रोसीजर के लिए अपने सहकर्मी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर खिलन प्रजापति से मदद ली। दोनों कर्मचारियों ने बारी-बारी से बालक को कृत्रिम श्वास दिया। इसके दो-तीन मिनट बाद शिशु का श्वास और हृदय की धड़कन सामान्य हो गई। इस प्रकार शिशु को नवजीवन मिलता देख परिजनों के चेहरे खुशी से खिल उठे। शिशु को बेहतर इलाज के लिए शीघ्र ही दूसरे अस्पताल ले जाया गया। बाद में उसे 12 घंटे की निगरानी में रखा गया।