इसी प्रकार के बैक्टेरिया को एक अन्य छात्रा शबनम शेख ने भी चिन्हित किया है, जिनकी मदद से चना, गेंहू में जिंक व अन्य पोषक तत्व की मात्रा बढ़ती है एवं पैदावार भी बढ़ती है। इस शोध पर शबनम को भी पीएचडी की उपाधि जीयू की ओर से प्रदान की गई है।
शोध के तहत मूंग और फळसी में आयरन और सेलेनियम बढ़ाने में मददरूप हों ऐसे प्लांट ग्रोथ प्रमोटिंग रिजोबैक्टेरिया को चिन्हित किया गया। उन्हें अलग-अलग करके उसका उपयोग पहले गमले में फसल उगाकर किया फिर उसका अध्ययन किया और फिर खेतों में उपयोग कर किए गए शोध एवं अध्ययन में पाया गया कि तीन गुना तक मूंग और फळसी की फसल की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। आयरन और सेलेनियम की मात्रा भी इसके उपयोग से पैदा हुई मूंग और फळसी में बढ़ी है। बैक्टेरिया को बिना किसी जिनेटिकली मोडिफाइड किए ही चिन्हित किया है। यह जैविक पद्धति है। कैमिकल का उपयोग नहीं होने से यह सस्ती भी है। जिससे मिट्टी को भी नुकसान नहीं होता है।
-डॉ. मीनू सराफ, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, जीयू