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जीवन आस्था से बढ़ी मन की ‘आस्था’

locationअहमदाबादPublished: May 17, 2019 03:30:05 pm

गुजरात में राजस्थान के सेवक: आईपीएस अधिकारी वीरेन्द्र यादव

IPS Virendra Yadav

जीवन आस्था से बढ़ी मन की ‘आस्था’

नगेन्द्र सिंह

अहमदाबाद. हताशा, निराशा में डूबे ऐसे लोग जो खुद की जिंदगी के दुश्मन बन बैठते हैं। ऐसे लोगों को ‘जीवन आस्था’ हेल्पलाइन के जरिए मददरूप होते हुए उनकी जिंदगी बचाने के साथ-साथ जीवन में उनकी आस्था को पुनसर््थापित करने में सहभागी बनने का अवसर मिला। इस कार्य का आत्मसंतोष है वहीं इससे मन की ‘आस्था’ भी बढ़ी। यह कहना है आईपीएस अधिकारी वीरेन्द्र यादव का। यादव मूलरूप से राजस्थान के जयपुर जिले की शाहपुरा तहसील के लोचू का वास गांव के निवासी हैं जो 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
करीब तीन वर्षोंं से ज्यादा समय तक गांधीनगर पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए यादव ने सितंबर २०१५ में ‘जीवन आस्था’ हेल्पलाइन को संस्थागत रूप में शुरू करने में अहम भूमिका निभाई। इसके जरिए गुजरात ही नहीं बल्कि देशभर के करीब २०० लोगों की जान को काउंसलरों ने बचाया। यादव के मुताबिक सहकर्मियों और उच्च अधिकारियों के सहयोग व मार्गदर्शन से ही यह संभव हो सका।
यादव की गुजरात में पहली पोस्टिंग बतौर एएसपी अंजार में हुई। उसके बाद वे अहमदाबाद शहर के जोन-1 क्षेत्र के लंबे समय तक उपायुक्त (डीसीपी) रहे। फिर गांधीनगर एसपी और अभी सीआईडी क्राइम एसपी के पद पर सेवारत हैं।
हिंदी माध्यम से की पढ़ाई

हिंदी माध्यम के विद्यार्थी रहे यादव नौवीं कक्षा तक गांव के ही स्कूल में पढ़े। 10वीं कक्षा मनोहरपुर के माध्यमिक स्कूल से और 12वीं कक्षा शाहपुरा के विद्यालय से की। महाराजा कॉलेज-जयपुर से बीएससी (गणित से) करने के बाद राजस्थान विवि से भूगोल में एमफिल की।
पिता का सपना किया पूरा

ग्रामीण पृष्ठभूमि में पले-बढ़े यादव के पिता हनुमान सहाय राजस्थान रोडवेज से सेवानिवृत्त हैं वहीं मां भगवतीदेवी गृहिणी हैं। पिता का सपना था कि उनके घर का कोई सदस्य प्रशासनिक सेवा में हो। पिता की प्रे्ररणा से उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी की। हिंदी माध्यम और गणित के अलावा भूगोल, दर्शनशास्त्र विषयों की तैयारी करते हुए सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाई। चार-भाई बहनों में में सबसे बड़े यादव को मक्के की रोटी, देशी घी और गुड़ खाना पसंद है। वे दिल्ली,जयपुर की चाट और आलू की टिक्की भी काफी मिस करते हंै।
गांधीनगर पुलिस अधीक्षक रहते हुए वीरेन्द्र यादव ने जून-२०१६ में लोगों के फोन, सिमकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, एटीएमकार्ड खोने, चोरी होने की स्थिति में थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए ली जाने वाली नोटराइज्ड एफिडेविट से लोगों मुक्ति दिलाई। उनके इस निर्णय ने गांधीनगरवासियों का दिल जीत लिया।
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की सुरक्षा वाले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री एवं उनके परिवार के सदस्यों (गांधी परिवार) एवं वीवीआईवी लोगों के गुजरात आने पर उनकी सुरक्षा के लिए २३ से अधिक बंदोबस्त करने का अनुभव भी वीरेन्द्र यादव को है।
पत्नी सोनिया यादव आरएएस

आईपीएस वीरेन्द्र यादव की पत्नी सोनिया यादव भी गुजरात के अहमदाबाद पासपोर्ट क्षेत्रीय कार्यालय में डिप्टी पासपोर्ट ऑफिसर हैं। अजमेर निवासी सोनिया यादव राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) की वर्ष २००६ बैच की अधिकारी हैं। फिलहाल वे प्रतिनियुक्ति पर हैं।
अजमेर के पंचशीलनगर की मूल निवासी सोनिया ने सोनिया ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई अजमेर के सोफिया स्कूल से की। चितौडग़ढ़ में मनरेगा के तहत कार्यों को शुरू कराने में अहम भूमिका निभाई।
अजमेर में असिस्टेंट कलक्टर रहते हुए उर्स और पुष्कर के मेले की ड्यूटी अभी भी यादगार है। वकील पिता और शिक्षिका माता की दिली इच्छा थी कि उनकी संतान प्रशासनिक सेवा में हो। मोदी इंजीनियरिंग कॉलेज लक्ष्मणगढ़ से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई बाद आरएएस की परीक्षा में सफल हो गई। उनका पसंदीदा शहर राजस्थान का उदयपुर है। उन्हें खमन-ढोकला-पात्रा जैसे गुजराती व्यंजन भी पसंद आने लगे हैं। वैसे तो राजस्थान का खान-पान, हैंडीक्राफ्ट सबकुछ मिस करती हैं।
sonia yadav

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