उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य बालिका जन्मदर को बढ़ावा देना, बालिकाओं में माध्यमिक शिक्षा का प्रमाण बढ़ाना और उनकी सुरक्षित महसूस कराना है। इस अभियान के तहत जनसमुदाय में जागरुकता लाने के लिए राज्य, जिला और तहसीलस्तर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके चलते ही राज्य में वर्ष 2011 में प्रति एक हजार बालकों पर 890 बालिकाएं थीं, जो वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के मुताबिक बढ़ाकर 955 पहुंच गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव एवं आयुक्त के.के. निराला ने राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य बताते कहा कि भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से बालिका जन्म दर, शिक्षा को बढ़ावा, बाल विवाह उन्मूलन, महिलाओं को कानूनी अधिकार, पोषण एवं चिकित्सा देखभाल, संरक्षण एवं सम्मान सुनिश्चित करना है। इसके मद्देनजर वर्ष 2008 से 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों की ओर से भी संसद और विधानसभा में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लगातार प्राथमिकता दे रहे है। बालिकाओं को शिक्षित बनाना समय की मांग की है।
इस मौके पर महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक डॉ. जिन्सी रॉय समेत कई गणमान्य वच्र्युअल अपने विचार व्यक्त किए।