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Video : महाकाली, महालक्ष्मी व सरस्वती का संगम है भद्रकाली माता

locationअहमदाबादPublished: Nov 19, 2019 04:07:22 pm

Submitted by:

Gyan Prakash Sharma

Bhadrakali Mata Temple, Ahmedabad News, Gujrat News
 

Bhadrakali Mata mandir

महाकाली, महालक्ष्मी व सरस्वती का संगम है भद्रकाली माता,महाकाली, महालक्ष्मी व सरस्वती का संगम है भद्रकाली माता

ज्ञान प्रकाश शर्मा


अहमदाबाद. यूं तो सभी मंदिर भक्तों की आस्था के केन्द्र हैं, लेकिन कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जो अनेक पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं। उन्हीं में से एक है भद्रकाली माता का मंदिर। शहर के बीचो बीच बसे इस मंदिर को नगरदेवी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि माता भद्रकाली में शक्ति के तीनों रूप समाहित हैं। महाकाली, महालक्ष्मी एवं सरस्वती का संगम है माता भद्रकाली।

पौराणिक कथाओं के अनुसार पाटण के राजा एवं गुजरात राज्य की स्थापना करने वाले राणा कर्णदेव ने आशावल के भील राजा को हराकर कर्णावती नगरी की साबरमती नदी के किनारे स्थापना की थी। नगर की स्थापना के भागरुप उन्होंने सर्वप्रथम राजदेवी मां भद्रकाली की स्थापना की थी। ई. स. १४५५ में जब अहमदशाह बादशाह ने कर्णावती नगरी के विस्तार में अहमदाबाद शहर वसाया तो एक किला बनाया था, जो भद्र किले के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर सल्तनतयुग, मुगल युग, मराठा युग एवं ब्रिटिश युग आदि का साक्षी रहा है।

बताया जाता है कि माता की प्रतिमा प्राचीन है। मराठों के शासन (पेशवाओं के समय) में माता के मंदिर में पूजा-अर्चना व विकास शुरू हुआ, जो आज नगरदेवी के रूप में प्रसिद्ध है। नवरात्रि के दौरान ही नहीं, अपितु रोजाना बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
छह पीढिय़ों से कर रहे हैं संचालन

शहर के लाल दरवाजा क्षेत्र स्थित माता भद्रकाली मंदिर में प्रत्येक रविवार, पूर्णिमा, दोनों नवरात्र (चैत्र व शारदीय) एवं देवदिवाली और त्योहारों पर भक्तों की भीड़ रहती है। दीपावली पर धनतेरस से लेकर नए वर्ष तक अर्थात चार दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। यहां पर सप्ताह के सातों दिन माताजी अलग-अलग सवारी पर आरुढ़ दिखाई देती है।
मंदिर का संचालन राम बली प्राग तिवारी ट्रस्ट एवं महाराज वृजलाल गंगाप्रसाद अवस्थी के वारिसदार पिछले छह पीढिय़ों से कर रहे हैं। मंदिर में हर रविवार को भंडारा होता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त प्रसादी ग्रहण करते हैं।
-लालमाधव आर. पांडे-प्रबंध न्यासी एवं मुख्य पुजारी, भद्रकाली मंदिर

मंदिर का शिखर बनाने की मांग


इस प्राचीन मंदिर का शिखर बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक पूरी नहीं हुई है। साथ ही मंदिर में जगह का अभाव है, विशेषकर रविवार को प्रसादी के समय भक्तों को बाहर बिठाना पढ़ता है। पुरातत्व विभाग की सूची में शामिल इस मंदिर में विकास कार्यों की जरुरत है। वर्ष २००७ में महानगर पालिका (मनपा) की ओर से यहां चौक बनवाया गया, लेकिन उसमें शेड नहीं है। साथ ही पीने के पानी की सुविधा भी नहीं है।

-शशिकांत तिवारी, चैयरमेन ट्रस्टी-श्री रामबली प्राग तिवारी ट्रस्ट।

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