scriptheritage: भयंकर और रव से बना है भैरव | Bhairav make word from 'Bhayankar' and 'rav' | Patrika News

heritage: भयंकर और रव से बना है भैरव

locationअहमदाबादPublished: Aug 04, 2019 06:16:41 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

बालाजी और गणेशजी की ही भान्ति चढ़ाया जाता है सिन्दूर

bhairav

heritage: भयंकर और रव से बना है भैरव

उपेन्द्र शर्मा…..भैरव…..

900 years old @ rani ki vav (stepwell) world UNESCO heritage site….

भयंकर और रव (आवाज) मिलकर शब्द बना है भैरव। शिवावतार हैं वे। उड़द (माश) की दाल से बने व्यंजन उन्हें बहुत प्रिय हैं। यौद्धा हैं इसलिये घी का नहीं बल्कि तेल का दिया जलता है और बालाजी और गणेशजी की ही भान्ति सिन्दूर चढ़ाया जाता है।
आकरे (गर्म) स्वभाव का होने के कारण रविवार उनका दिन माना जाता है। इस दिन उनको विशेष भोग लगाया जाता है। कंगन, इमरती, जलेबी, कचौरी, जौ, पुए, मालपुए खिचड़ी आदि बहुत चाव से खाते हैं। लाडु बाटी और चूरमे की रसोई इन्हें प्रसन्न करने का सबसे सीधा तरीका है। जिनकी कुन्डली में राहु का दोष होता है उन्हें ज्योतिष में भैरव जी की अराधना करने की सलाह दी जाती है।
इनके सर्वाधिक मन्दिर राजस्थान और गुजरात में हैं। दिल्ली में एक प्रसिद्ध मन्दिर पुराने किले (जेठ पाण्डु पुत्र ने बनाया था) में है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर वाराणसी (काशी) में है। इन्हें काशी का कोतवाल (रक्षक) भी कहा जाता है। मां वैष्णोदेवी (जम्मु) के मन्दिर से 3 किलोमीटर दूर एक प्रसिद्ध भैरव मन्दिर है। राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर रीन्गस (सीकर) में है।
देश के तमाम प्राचीन पुर (नगर), किलों, परकोटों, मन्दिरों के द्वार पर भैरजी बतौर रक्षक मौजूद रहते हैं। जैसे जयपुर में साँगानेरी गेट पर और अजमेर में घूघरा घाटी के प्रवेश द्वार पर। हमारे गांव लांबाहरिसिंह में भी छापर वाले भैरुजी के दर्शन चित्त को प्रसन्न करते हैं। राजस्थान में शायद ही कोई ऐसा गांव हो जहां 400-500 लोग रहते हों और भैरु जी का मन्दिर ना हो। कई मन्दिरों में दारु का भोग भी चढता है। अजमेर के पास स्थित राजगढ़ भैरव जी का मन्दिर भी लाखों लोगों की श्रद्धा का केन्द्र है।
राजस्थान में बच्चा तब तक पैदा हुआ मान्य नहीं है जब तक उसे भैरु जी के ढुकाया नहीं जाए। गांवों में अक्सर स्त्रियाँ भैरुजी से पुत्र मांगती हैं। भैरव मां दुर्गा के भक्त हैं सो मां और शिव के सभी मन्दिरों के ठीक बाहर भैरुजी स्थापित रहते हैं। श्वान इनका वाहन है। उसको रोटी डालने वाले के शत्रु सदा शान्त रहते हैं।
आज भी जब भारतीय सेना युद्ध में जाती है तो मां दुर्गा और भैरुजी का आशीर्वाद लेकर ही जाती है। जो यौद्धा मां दुर्गा का नाम लेकर लड़ते हैं स्वयं भैरु उनकी ताकत होते हैं। कारगिल युद्ध हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा का जयघोष था ‘दुर्गा माता की जय’ और परमवीर चक्र विजेता मनोज पाण्डे (बिहार) का जयघोष था ‘जय मां काली आयो गोरखाली’।
राजस्थान के महान राजनीतिज्ञ भैरोंसिंह शेखावत, डॉ महेश जोशी (जयपुर), गिरधारी लाल भार्गव (जयपुर), राजपाल सिंह शेखावत, धर्मेन्द्र गहलोत भैरुजी के परम भक्त रहे हैं।
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