रूपाणी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि वर्ष २०१९ में कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि सत्ता पर आए तो एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) एक्ट को समाप्त कर देंगे। किसानों के लिए फसल के निर्यात व व्यापार के सभी बंधन हटा लिए जाएंगे। उसे मुक्त किया जाएगा। यही काम जब मोदी सरकार ने किया तो कांग्रेस कल उसके विरुद्ध आंदोलन करने जा रही है। इसमें रोड़े डाल रही है। रूपाणी ने मनमोहन सिंह सरकार में कृषि मंत्री रहे एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर भी इस एक्ट के विरोध को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि पवार खुद जब सरकार में थे तो उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है। एपीएमसी एक्ट को रद्द करने की वकालत करते थे अब वही काम मोदी सरकार ने किया तो मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। समाजवादी पार्टी, आरजेडी, सीपीआई, सीपीआईएम सभी दलों ने भी सरकार की हां में हां मिलाई थी।
रूपाणी ने समर्थन मूल्य पर खरीदी (एमएसपी) रद्द करने की बात निराधार है। वह खत्म नहीं होगी। उल्टा मोदी सरकार ने एमएसपी को मजबूत किया है। उसके तहत दाम भी बढ़ाए हैं। गुजरात की बात करें तो मेरी (रूपाणी) सरकार ने बीते तीन सालों में १५ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की फसलों को एमएसपी के तहत खरीदा है। चौथे साल भी खरीदी इस वर्ष जारी है।
किसानों की कृषि कानून खत्म करने की मांग कर रहे हैं वह जायज नहीं है। जिस प्रकार से विपक्ष एकजुट हो रहा है। उसे देख यह स्पष्ट लग रहा है कि यह किसानों के नाम पर चलाया जा रहा राजकीय आंदोलन है।
रूपाणी ने कहा कि गुजरात में किसान सरकारी नतियों से संतुष्ट हैं। कानून को लेकर भी कोई विरोध नहीं है। गुजरात के किसान इस आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं।