उन्होंने शिक्षक समुदाय की शक्ति व सामथ्र्य से भारत माता को दुर्गा जैसी शक्तिशाली और सरस्वती जैसी ज्ञानपुंज समान तेजस्वी बनाकर जगतगुरु के रूप में विराजित करने का आह्वान उपस्थित शिक्षकों से किया।
रूपाणी ने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा विभाग की कार्यपद्धति में वफादारी, ईमानदारी और प्रामाणिकता के माध्यम से व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए विश्वास का वातावरण बनाने के लिए साथ मिलकर संकल्प करने को कहा।
उन्होंने व्यथा नहीं, व्यवस्था का कार्यमंत्र देते हुए कहा कि शिक्षकों के मुद्दों को प्राथमिकता देकर शिक्षक अनुकूल वातावरण के निर्माण को सरकार प्रतिबद्ध है।