तीन दशक बाद भाजपा आडवाणी के बिना उतरेगी चुनाव में
अहमदाबादPublished: Mar 22, 2019 11:21:10 pm
उम्र दराज होने से कटा टिकट!
तीन दशक बाद भाजपा आडवाणी के बिना उतरेगी चुनाव में
पुष्पेंद्र सिंह राजपूत
अहमदाबाद. गांधीनगर सीट से आखिरकार लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कट गया है। यह पहला मौका होगा जब तीन दशक बाद भाजपा बगैर लालकृष्ण आडवाणी के बगैर ही लोकसभा चुनाव मैदान में उतरेगी।
वर्ष 1991 में लालकृष्ण अडवाणी गांधीनगर संसदीय सीट पर चुनाव में उतरे थे। बाद में जैन डायरी में नाम उछलने पर आडवाणी ने वर्ष 1996 में गांधीनगर सीट से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वर्ष 1998 में क्लीन चिट मिलने के बाद वे फिर से चुनावी में मैदान में उतरे। वे वर्ष 1999 से 2014 तक लगातार गांधीनगर सीट से चुनाव से जीतते रहे। हालांकि इस बार गांधीनगर से अमित शाह चुनाव मैदान में हैं। जिन्होंने अपने शुरुआती दिनों में इस सीट पर आडवाणी का चुनाव प्रबंधन का काम संभाला था। वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का दावेदार बनाया गया तब आडवाणी 86 वर्ष थे। यह पहला मौका था जब वे भाजपा की ड्राइविंग सीट पर नहीं थे। बाद में उनको पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में भेजा गया और अब वे चुनावी राजनीति से ही बाहर हैं।
पहले जता चुके थे नहीं लडऩे की इच्छा :
पार्टी के पितामह माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद दो से तीन बार ही अपने संसदीय क्षेत्र में आए हैं। वे एक कार्यक्रम भी लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की इच्छा जता चुके थे।
उम्र दराज होने से कटा टिकट!
मौजूदा समय में आडवाणी 91 वर्ष के हो चुके हैं तो भाजपा के ज्यादातर वरिष्ठ नेता उनकी टिकट कटने का प्रमुख कारण उम्र दराज होना ही मान रहे हैं। अपनी पत्नी के निधन के बाद आडवाणी राजनीति धीरे-धीरे निष्क्रिय होते जा रहे थे। एक पदाधिकारी ने यह भी कहा कि जब गांधीनगर से अमित शाह को टिकट देने की घोषणा हुई तो उन्होंने बधाई भी दी है। पार्टी की भारी बहुमत से जीत की भी शुभकामना दी। उधर, गुजरात में निरीक्षकों के समक्ष यह भी सुर उठे थे कि पार्टी से किसी स्थानीय नेता को ही चुनाव में उतारा जाए ताकि स्थानीय पदाधिकारियों और नेताओं में नाराजगी नहीं हो।
प्रचार की कमान संभालती थी बेटी प्रतिभा
आडवाणी को देशभर में लोकसभा चुनाव प्रचार में जाना होता था। जब भी आडवाणी गांधीनगर सीट से प्रत्याशी रहे उनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी ही चुनाव प्रचार की कमान संभालती थी। वे स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ मिलकर आडवाणी का चुनाव प्रचार करती थी।