scriptमुस्लिम परिवार में जन्मा बच्चा, नाम दिया पंकज खान! | Born in a Muslim family named Pankaj Khan | Patrika News

मुस्लिम परिवार में जन्मा बच्चा, नाम दिया पंकज खान!

locationअहमदाबादPublished: Jan 16, 2018 10:44:07 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

स्वास्थ्य-संस्कृति : जाति संप्रदाय से परे एक पहल…मां की जटिल बीमारी का उपचार किया था डॉ. पंकज शाह ने

Born in a Muslim family named Pankaj Khan

Dr. Pankaj Shah

अहमदाबाद. लूप्स नेफ्रटिस ऐसी जटिल बीमारी है कि महिलाओं को मां बनने में अवरोध पैदा करती है। यदि मां बनने का सौभाग्य मिल भी जाए तो कहा नहीं जा सकता है कि बच्चा स्वस्थ हो। शहर के सिविल कै म्पस में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजिज एंड रिसर्च सेंटर (आईकेडीआरसी) के चिकित्सक ने यह संभव कर दिखाया। उपचार के बाद जिस मुस्लिम महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, उसका नाम चिकित्सक डॉ. पंकज के नाम से रखा गया। हालांकि परिवार ने उसका दूसरा नाम भी रखा है। हाल में यह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य बताया गया है।
आमतौर पर मुस्लिम परिवार में पंकज जैसा नाम आसानी से नहीं मिलता। एक परिवार ने अपने बच्चे का नाम जाति संप्रदाय से परे होकर रखा है। दरअसल, बीमारी से निराश हुए परिवार ने कई अस्पतालों के चक्कर काटे, लेकिन उपचार संभव नहीं हो पाया। दो वर्ष पूर्व यह महिला शहर के सिविल अस्पताल स्थित किडनी इंस्टीट्यूट में पहुंची जहां के नेफ्रोलॉजिस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज शाह ने उनका इलाज किया। करीब नौ माह के उपचार के बाद इस महिला ने स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दिया। जिससे खुश हुए परिवार ने चिकित्सक के नाम से अपने बच्चे का नाम रखा। यह बच्चा आज पंकज खान के नाम से जाना जाता है। आज यह बच्चा लगभग डेढ वर्ष का हो गया और पूरी तरह से स्वस्थ्य है। महिला का उपचार करने वाले चिकित्सक डॉ. पंकज शाह ने बताया कि लूप्स नेफ्रटिस यह ऐसा रोग है जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में नौ गुना अधिक पाया जाता है। हर दस हजार महिलाओं में से किसी एक को हो सकता है। यह ऐसा रोग है जिसके कारण शरीर में बनने वाले स्वस्थ्य टिश्यू अपने आप नष्ट होने लगते हैं जिसका असर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर पडऩे लगता है और महिला मां नहीं बन पाती हैं और यदि मां बन भी जाएं तो जन्म लेने वाला बच्चा गंभीर रोगों से पीडि़त हो सकता है। पंकज खान से पहले महिला ने दो बच्चों को जन्म दिया जो हृदय संबंधित रोगों पीडि़त थे। दोनों ही बच्चे एक माह से ज्यादा नहीं जी पाए थे। उन्होंने कहा कि किडनी अस्पताल में काफी कम खर्चे पर यह उपचार किया जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो