प्लास्टिक की बोतलों के दाने से बनेगी चादर व तकिया कवर उन्होंने दावा किया है कि प्लास्टिक बोतलों (Plastic bottle) की क्रशिंग से जो दाने बनेंगे उससे पोली वस्त्र बनेगा। इसमें 66.6 फीसदी प्लास्टिक एवं 33.4 फीसदी कॉटन (Cotton) का इस्तेमाल होता है। इस पोलीवस्त्र का इस्तेमाल चादर (bedshit) , तकिया कवर (pillow cover) और सीट कवर बनाने में हो सकेगा। करीब ढाई बोतल की क्रशिंग से बनने वाले दानों से एक सीट कवर, छह बोतलों के दानों से एक तकिया कवर और 20 बोतलों के दानों से एक चादर हो सकेगी।
उन्होंने बताया पानी की बोतलों को इस्तेमाल कर यात्री खाली बोतल फेंक देते हैं, जो प्लेटफार्म (plateform) , पटरियों या रेल परिसर में पड़ी रहती थी। अब इन बोतलों को रेल परिसर में लगी मशीनों के जरिए क्रश कर दिया जाएगा, जो पर्यावरण (environment) और स्टेशन की स्वच्छता के लिहाज से बेहतर रहेगा। हालांकि एक बोतल क्रशिंग मशीन पहले से ही लगाई गई है और चार अन्य बोतल क्रशिंग मशीन शुक्रवार को रेलवे स्टेशन (Railway station) पर रखी गई।
भारतीय तेल निगम (आईओसीएल)-गुजरात सर्कल ने कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेवारी (सीएसआर) के तहत ये चार मशीनें अहमदाबाद स्टेशन को दी हैं। इस अवसर पर अहमदाबाद मंडल के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) दीपक कुमार झा और अपर मंडल रेल प्रबंधक फतेहसिंह मीना, स्टेशन प्रबंधक जीजू जोसेफ तथा आईओसीएल- गुजरात हेड-अधिशासी निदेशक एस.एस. लाम्बा, महाप्रबंधक (कार्मिक-सीएसआर) एसएस नेगी, महाप्रबंधक पी.जे.त्रिवेदी मौजूद थे।