जाते-जाते छह को नया जीवन दे गया नीरज
अहमदाबादPublished: Jan 04, 2019 11:23:06 pm
ब्रेन डेड युवक के अंगों को हवाई मार्ग से लाए अहमदाबाद- जामनगर से पहली बार किया दिल का दान- वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद से लाए
अहमदाबाद/जामनगर. जामनगर के २७ वर्ष के नीरज फळिया तो इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके अंगों कम से कम छह को नया जीवन मिल गया। नीरज का हार्ट अब अहमदाबाद के सिम्स अस्पताल में भर्ती ५४ वर्षीय प्रोढ़ के सीने में धडक़ने लगा है। जबकि किडनी एवं लीवर अहमदाबाद के ही सिविल अस्पताल परिसर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजिस एंड रिसर्च सेंटर (आईकेडीआरसी) में उपचाराधीन तीन मरीजों को प्रत्यारोपित किए गए हैं। आंखों से भी दो को रोशनी मिली है। यह पहली बार है जब जामनगर से किसी ब्रेन डेड व्यक्ति का दिल दान किया गया हो।सिविल चार्टर एयरक्र ॉफ्ट के जरिएजामनगर एयर फिल्ड से अहमदाबाद एयरपोर्ट और उसके बाद ग्रीन कॉरीडोर के माध्यम से अस्पताल तक पहुंचाया गया। इसके लिए जामनगर में भी रात को जीजी अस्पताल से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरीडोर का आयोजन किया गया। एयरक्र ॉफ्ट में सात डॉक्टरों की टीम थी।
जामनगर निवासी व पिछले कुछ दिनों से सूरत में स्थायी हुए विनूभाई उर्फ विनोद फळिया के २७ वर्षीय पुत्र नीरज का गत ३१ दिसम्बर को वाहन हादसे में ब्रेन डेड हो गया था। सूरत के अस्पताल में दो दिन उपचार लिया गया लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उसे जामनगर के एक निजी अस्पताल और उसके बाद गुरुवार को जीजी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट किया गया। स्थिति में सुधार होने की कोई संभावना नजर नहीं आने पर गुरुवार को ही नीरज के पिता व परिवार के अन्य सदस्यों ने अंग दान करने का निर्णय लिया। इसके पीछे परिवार की सोच है कि नीरज अन्य व्यक्तियों के शरीर में तो जीवित रहेगा।
परिजनों के इस निर्णय से प्रशासन को अवगत कराया गया तो तत्काल व्यवस्था शुरू कर दी गई। इसके बाद मध्यरात को अहमदाबाद के चिकित्सकों की टीम जामनगर एयरपोर्ट पर पहुंच गई। इन टीमों में अहमदाबाद के आईकेडीआरसी और सिम्स अस्पताल के चिकित्सक व अन्य कर्मचारी शामिल थे। जीजी अस्पताल में रात को चले ऑपरेशन में ब्रेन डेड नीरज के अंग जैसे हार्ट, लीवर, किडनी, फेफड़े और आंख ली गई। इनमें से हार्ट, दोनों किडनी और लीवर को हवाई मार्ग से अहमदाबाद लाया गया। जबकि अन्य अंगों को जामनगर मेडिकल कॉलेज में इस्तेमाल किया गया। अहमदाबाद एयरपोर्ट पर से ग्रीन कॉरीडोर बनाकर अंगों को सिम्स एवं आईकेडीआरसी अस्पतालों में समय रहते पहुंचा दिया गया।
किडनी अस्पताल में तीन मरीजों को मिला जीवन
आईकेडीआरसी के निदेशक डॉ. विनीत मिश्रा ने बताया कि नीरज के किडनी एवं लीवर से तीन मरीजों को नया जीवन मिला है। दो मरीजों को किडनी ट्रान्सप्लान्ट तो एक को लीवर का ट्रान्सप्लान्ट किया गया। यहां भर्ती मरीजों का शुक्रवार को ही ऑपरेशन कर दिया गया। आईकेडीआरसी के मुख्य ट्रान्सप्लान्ट सर्जन डॉ. प्रांजल मोदी एवं उनकी टीम ने ये तीनों ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरे किए।
५४ के सीने में धडक़ने लगा २७ का दिल
नीरज के हार्ट को सिम्स अस्पताल ले जाया गया। जहां अहमदाबाद निवासी एक मरीज प्रत्यारोपित किया गया। ट्रान्सप्लान्ट करने वाले डॉ. धीरेन शाह ने बताया कि ५४ वर्षीय मरीज का हृदय पन्द्रह से बीस फीसदी ही काम कर रहा था। उसके पेसमेकर भी लगा हुआ था। काफी दिनों से वेटिंग में चल रहे इस मरीज का हृदय ट्रान्सप्लान्ट हो गया। डॉ. धीरेन शाह ने बताया कि सिम्स अस्पताल में यह सातवां सफल हार्ट ट्रान्सप्लान्ट है। उन्होंने कहा कि २७वर्षीय नीरज का दिल ५४ वर्षीय मरीज के सीने में धडक़ने लगा है।
दो बहनों के बीच अकेला ही भाई था :
विनोदलाल फळिया की तीन संतानों में नीरज अकेला पुत्र था। उनके दो पुत्री भी हैं। गुरुवार रात को जीजी अस्पताल में दोनों बहन और चचेरे भाइयों के रुदन से पूरा परिसर शोक में डूब गया। लेकिन उन्हें इस बात का संतोष रहेगा कि भाई के अंग किसी अन्य के शरीर में जीवित रहेंगे। चिकित्सकों के अनुसार उनके अंगों से दस व्यक्तियों को बचाया जा सकता है। दो आंख एवं किडनी लीवर और हार्ट से छह मरीजों का तो ट्रान्सप्लान्ट हो भी गया।